कौशांबी के 51वीं शक्तिपीठ मां शीतला धाम में आने वाले भक्तों की सुरक्षा कर रहा अल्लाह का यह बंदा
ये हैं कौशांबी के कड़ा में रहने वाले गोताखोर मकबूल। वे 51वीं शक्तिपीठ मां शीतला दरबार में भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। वह शीतला धाम आने वाले भक्तों की सुरक्षा करते हैं।
कौशांबी, जेएनएन। कौशांबी के कड़ा स्थित गंगा किनारे झोपड़ी डालकर रहने वाले मकबूल मियां हिंदू-मुस्लिम एकता के पर्याय बने हैं। वह आपसी भाईचारा और सौहार्द का संदेश दे रहे हैं। मकबूल 51वीं शक्तिपीठ मां शीतला धाम में हिंदू श्रद्धालुओं के लिए रक्षक बने हुए हैं। दो दशक से मकबूल ने गंगा में डूबने वाले दर्जनों श्रद्धालुओं की जान बचाई है। अब तो पिता के इस राह में बेटा एहसान भी चल रहा है।
पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं गोताखोर मकबूल
सिराथू तहसील क्षेत्र के कड़ा धाम स्थित गंगा नदी के कुबरी घाट किनारे झोपड़ी डालकर मकबूल परिवार के साथ रहते हैं। उनके पास खेती नहीं है लेकिन वह गंगा के कछार में तरबूज की खेती करते हैं। पांच वक्त की नमाज अदा करने वाले मकबूल गंगा घाट पर धार्मिक पर्वों में आने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की सुरक्षा का जिम्मा भी उठाते हैं। मकबूल का मानना है कि उनके कुरआन में भी लिखा है कि लोगों की जान बचाना शबाब मिलता है। इसी मकसद से वह गंगा स्नान पर्व पर सुबह से शाम तक बतौर गोताखोर सेवा करते हैं। मकबूल ने बताया कि इस कार्य में उन्हें 20 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने तीन दर्जन से अधिक लोगों की जान बचाई है। इस काम में उनका बेटा एहसान भी हाथ बंटाने लगा है।
परिवार के दो जून की रोटी का जुगाड़ हो जाता है
मकबूल का बेटा एहसान भी गोताखोर है। वह पिछले दो वर्ष से इस काम में जुटा है। उसने अब तक आधा दर्जन से अधिक जानें बचाई हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जान बचाने के बदले में श्रद्धालु के स्वजन मकबूल को रुपये आदि देने का प्रयास करते हैं लेकिन वह लेने से इन्कार कर देते हैं। उनका मानना है कि लोगों की जान बचाने में उसे इतनी दुआएं मिल जाती हैं कि अल्लाह के करम से परिवार के दो जून की रोटी का जुगाड़ हो जाता है।
आज भी याद आती है हंडिया के नीरज की मौत
मकबूल मियां को आज भी एक बात खलती है। वर्ष 2014 में इलाहाबाद के हंडिया निवासी कृष्ण बिहारी अपने परिवार के साथ गंगा स्नान को आए थे। गंगा स्नान के समय कृष्ण बिहारी का 19 वर्षीय बेटा नीरज डूबने लगा। यह देख मकबूल ने नदी में छलांग लगाई लेकिन गंगा की तेज धारा में नीरज डूब गया। घंटों प्रयास के बाद मकबूल उसकी लाश लेकर बाहर निकला। मकबूल आज भी उसके परिवार के करुण क्रंदन को याद कर सिहर उठते हैं।
गंगा-गोमती सेवा संस्था के सदस्य हैं मकबूल
देवी स्थल पर आपसी भाईचारे का संदेश दे रहे मकबूल को देखकर कड़ा धाम के विनय कुमार पांडेय ने गंगा गोमती सेवा संस्था में उन्हें शामिल कर लिया। अब मकबूल लोगों की जान बचाने के साथ-साथ संस्था की मदद से बीमार हुए श्रद्धालुओं की मरहम पट्टी व दवा आदि की भी व्यवस्था करते हैं। इस संस्था में अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक गोताखोर शामिल हो चुके हैं, जो गंगा स्नान पर्व पर कुबरी घाट में श्रद्धालुओं की जान बचाने को मुस्तैद रहते हैं।
तीन बार प्रशस्ति पत्र पा चुके हैं मकबूल
भक्तों की जान बचाकर अल्लाह का रहम बटोरने वाले मकबूल को जिला प्रशासन ने भी तीन बार प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मकबूल ने बताया कि वर्ष 2014 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव, दो साल पहले कड़ा महोत्सव में गंगा गोमती सेवा संस्था के अध्यक्ष और 26 जनवरी 2015 में तत्कालीन एसपी रतनकांत पांडेय ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान बढ़ाया। मकबूल के बेटे एहसान को भी बीते 26 जनवरी 2018 को एसपी प्रदीप गुप्ता ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।