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MLN Medical college के कई वरिष्ठ डॉक्टर और विभागाध्यक्ष चला रहे निजी नर्सिंग होम, रोकथाम की जिम्मेदार कमेटी है बेफिक्र

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के अंतर्गत स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के ही कई महत्वपूर्ण विभागों के विभागाध्यक्ष तक अपना निजी अस्पताल धड़ल्ले से चला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि 30 से अधिक सरकारी डाक्टरों की संलिप्तता निजी अस्पतालों के संचालन में हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 11:39 AM (IST)
MLN Medical college के कई वरिष्ठ डॉक्टर और विभागाध्यक्ष चला रहे निजी नर्सिंग होम, रोकथाम की जिम्मेदार कमेटी है बेफिक्र
सरकारी डाक्टरों की मनमानी की एक बड़ी वजह सतर्कता कमेटी का पूरी तरह निष्क्रिय होना भी है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों पर हो रही 'रिसर्च और इलाज के नाम पर धन उगाही मेें सरकारी डाक्टरों की भी संलिप्तता है। अस्पतालों की साठगांठ इतनी गहरी है कि बड़े पदों पर बैठे जिम्मेदार अफसर भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के बदले सरकार से भत्ता (एनपीए) लेने के बावजूद मनमानी हो रही है लेकिन, लगाम कसने को कोई तैयार नहीं है जबकि इसकी रोकथाम के लिए शासन से गठित सतर्कता कमेटी में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सभी शीर्ष अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है।

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सरकारी और प्राइवेट डाक्टरों की साठगांठ की जड़ें काफी गहरी

महानगर में वैसे तो दो सौ से अधिक निजी अस्पताल सीएमओ कार्यालय से पंजीकृत हैं लेकिन, इनमें बहुतेरे सरकारी डाक्टरों के खुले संरक्षण में संचालित हैं। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के अंतर्गत स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के ही कई महत्वपूर्ण विभागों के विभागाध्यक्ष तक अपना निजी अस्पताल धड़ल्ले से चला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि 30 से अधिक सरकारी डाक्टरों की संलिप्तता निजी अस्पतालों के संचालन में हैं। इनमें कई डाक्टरों ने तो अपनी पत्नी या भाई बंधुओं के नाम पर अस्पताल खोल रखे हैं और दोपहर बाद वहां ओपीडी में खुद बैठते हैं, मरीजों का वहीं आपरेशन भी करते हैं। एसआरएन के एक वरिष्ठ डाक्टर का निजी नर्सिंग होम झलवा क्षेत्र में संचालित हो रहा है, दो वरिष्ठ डाक्टरों के नर्सिंग होम पन्नालाल रोड पर, एक विभागाध्यक्ष का निजी अस्पताल लाउदर रोड पर बेरोकटोक चल रहा है, तो एसआरएन के ही एक विभागाध्यक्ष एक नामी नर्सिंग होम के निदेशक मंडल में शामिल हैं। इनमें एक डाक्टर तो निजी अस्पताल की ओपीडी में खुद बैठते हैं लेकिन गेट पर नाम पट्टिका दूसरे डॉक्टर का है।

जिम्मेदारी से विमुख हैं सभी शीर्ष अधिकारी

सरकारी डाक्टरों की मनमानी की एक बड़ी वजह सतर्कता कमेटी का पूरी तरह निष्क्रिय होना भी है। राजकीय मेडिकल कालेज (एलोपैथ) के डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस की रोकथाम के लिए शासन से गठित सतर्कता कमेटी में मंडलायुक्त अध्यक्ष, डीआइजी, मेडिकल कालेज के प्राचार्य, जिलाधिकारी और एसएसपी को सदस्य तथा सीएमओ को संयोजक / सदस्य की जिम्मेदारी दी गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव की ओर से कहा गया है कि यह समिति नियमित रूप से बैठकें करके सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रभावी रूप से कार्यवाही करेगी। लेकिन जनपद में यह कमेटी ही आंखों पर पर्दा डाले बैठी है।

मेडिकल कालेज के प्राचार्य का है कहना 

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने कहा कि सतर्कता कमेटी है जरूर लेकिन, वह काम क्या कर रही है इस बारे में अभी नहीं बता सकते। कमेटी की आखिरी मीटिंग कब हुई इस सवाल पर कहा कि याद नहीं।


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