दस दिनों तक मस्जिदों में ही 24 घंटे करेंगे इबादत
रमजान मुबारक माह का तीसरा अशरा शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग मस्जिदों में 24 घंटे इबादत करेंगे। ईद का चांद देखने के बाद ही मस्जिदों से बाहर आएंगे।
By Edited By: Published: Tue, 28 May 2019 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 10:26 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। रमजान मुबारक माह का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरू हो गया है। इसके साथ ही इबादत के लिए एतेकाफ शुरू हो गया है। अब तीसरे अशरे के दस दिनों तक तमाम लोग मस्जिदों में ही 24 घंटे इबादत करेंगे। ईद का चांद देखने के बाद ही वह मस्जिदों से बाहर आएंगे। खाना, पीना, सोना मस्जिद में ही होगा।
शहर की मस्जिदों में ज्यादातर बुजुर्गवार ही एतेकाफ में बैठे हैं। दावते इस्लामी की जानिब से करेली की बिलाल मस्जिद में एक साथ 20 लोगों ने एतेकाफ शुरू किया है। सभी लोग रोजा, नमाज और दिन भर कुरआन पाक की तिलावत कर रहे हैं। रमजान मुबारक का तीसरा अशरा बहुत ही अहम है। इसी में शबे कद्र की रातें शामिल हैं। ऐसे में एतेकाफ के जरिए इन अफजल रातों में हर कोई अल्लाह की इबादत में मशगूल रहना चाहता है। तमाम लोग अपने बिस्तर और अन्य जरूरत का सामान लेकर मस्जिदों में पहुंच गए हैं।
मस्जिद में ही खाने का इंतजाम है। इफ्तार का सामान और खाना उन लोगों के घर से भी पहुंचा दिया जा रहा है। करेली, अटाला, रसूलपुर, चकिया, केसरिया, बमरौली, करबला, रोशनबाग, अकबरपुर, निहालपुर, दरियाबाद, रानीमंडी, सेंवई मंडी, नखासकोहना, शाहगंज, पत्थरगली, बहादुरगंज, कीडगंज, हिम्मतगंज समेत अन्य इलाकों की मस्जिदों में कई लोग एतेकाफ पर बैठ गए हैं।
सोमवार को भी तमाम मस्जिदों, मदरसों और दरगाहों पर इफ्तार कराया गया। तरावीह मुकम्मल होने पर मस्जिदों में तबरुक बांटे गए। शबेकद्र की पांच रातें सबसे अफजल : मौलाना नादिर पेश इमाम मौलाना नादिर हुसैन का कहना है कि रमजान मुबारक के तीसरे अशरे में ही शबेकद्र की पांच अफजल रातें पड़ती हैं। 21वीं शब की एक रात निकल चुकी है। अब चार रातें बची हैं। इन्हीं रातों में कुरआन पाक नाजिल हुई। एक रात का सवाब एक हजार रातों से भी बढ़कर है। इन रातों में अल्लाह पाक हर किसी की दुआएं कबूल करते हैं। हर मुस्लिम को चाहिए कि शबेकद्र की पूरी रात तिलावत में गुजारे।
शहर की मस्जिदों में ज्यादातर बुजुर्गवार ही एतेकाफ में बैठे हैं। दावते इस्लामी की जानिब से करेली की बिलाल मस्जिद में एक साथ 20 लोगों ने एतेकाफ शुरू किया है। सभी लोग रोजा, नमाज और दिन भर कुरआन पाक की तिलावत कर रहे हैं। रमजान मुबारक का तीसरा अशरा बहुत ही अहम है। इसी में शबे कद्र की रातें शामिल हैं। ऐसे में एतेकाफ के जरिए इन अफजल रातों में हर कोई अल्लाह की इबादत में मशगूल रहना चाहता है। तमाम लोग अपने बिस्तर और अन्य जरूरत का सामान लेकर मस्जिदों में पहुंच गए हैं।
मस्जिद में ही खाने का इंतजाम है। इफ्तार का सामान और खाना उन लोगों के घर से भी पहुंचा दिया जा रहा है। करेली, अटाला, रसूलपुर, चकिया, केसरिया, बमरौली, करबला, रोशनबाग, अकबरपुर, निहालपुर, दरियाबाद, रानीमंडी, सेंवई मंडी, नखासकोहना, शाहगंज, पत्थरगली, बहादुरगंज, कीडगंज, हिम्मतगंज समेत अन्य इलाकों की मस्जिदों में कई लोग एतेकाफ पर बैठ गए हैं।
सोमवार को भी तमाम मस्जिदों, मदरसों और दरगाहों पर इफ्तार कराया गया। तरावीह मुकम्मल होने पर मस्जिदों में तबरुक बांटे गए। शबेकद्र की पांच रातें सबसे अफजल : मौलाना नादिर पेश इमाम मौलाना नादिर हुसैन का कहना है कि रमजान मुबारक के तीसरे अशरे में ही शबेकद्र की पांच अफजल रातें पड़ती हैं। 21वीं शब की एक रात निकल चुकी है। अब चार रातें बची हैं। इन्हीं रातों में कुरआन पाक नाजिल हुई। एक रात का सवाब एक हजार रातों से भी बढ़कर है। इन रातों में अल्लाह पाक हर किसी की दुआएं कबूल करते हैं। हर मुस्लिम को चाहिए कि शबेकद्र की पूरी रात तिलावत में गुजारे।
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