जानिए कौन थे ढकेलू महराज, जिनके निधन से गमजदा हैं तमाम सियासी धुरंधर और नौकरशाह
वर्ष 1950 में ढकेलू महराज सहायक के पद पर यहां आए। इसके बाद वर्ष 1965 में उन्हें मेस महराज का तमगा मिल गया। वर्ष 2006 तक उन्होंने अपनी जिमेदारी का बखूबी निर्वहन किया। मेस में उनके लिए अलग से एक कमरा था। वह यहीं रहते थे।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के सर गंगा नाथ झा हॉस्टल के मेस महराज कहे जाने वाले ढकेलू महराज का बुधवार को निधन हो गया। उनके हाथ की दाल-रोटी खाकर हॉस्टल से तमाम सियासी धुरंधर और नौकरशाह निकले। वह आज भी उनसे जुड़े थे। यही नहीं वह जब भी प्रयाग की माटी पर आते तो बिना ढकेलू महराज से मिले न जाते।
1950 में सहायक के पद पर जीएन झा छात्रावास में आए थे ढकेल महराज
दरअसल, वर्ष 1950 में ढकेलू महराज सहायक के पद पर यहां आए। इसके बाद वर्ष 1965 में उन्हें मेस महराज का तमगा मिल गया। वर्ष 2006 तक उन्होंने अपनी जिमेदारी का बखूबी निर्वहन किया। मेस में उनके लिए अलग से एक कमरा था। वह यहीं रहते थे। करीब छह महीने पहले उनकी हालत बिगड़ी तो वह अपनी विधवा बेटी के साथ उसके घर चले गए। वहीं, बुधवार को उन्होंने जिंदगी की अंतिम सांस ली। हॉस्टल के अन्तःवासी बताते हैं कि पुरा छात्र जब भी कभी आते तो बगैर उनसे मिले नहीं जाते। साथ में उनके लिए वह उपहार भी लेकर आते थे। ढकेलू महराज ने कभी किसी को भूखा नहीं सोने दिया था।
इन्होंने भी खाई महराज के हाथ की रोटी
महराज के हाथ की रोटी खाने वालों में तमाम सियासी धुरंधर के अलावा नौकरशाह भी हैं। जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व आईजी बद्री प्रसाद सिंह, पूर्व डीजी सूर्य कुमार शुक्ल, उत्तराखंड के डीआईजी जीवनचन्द्र पांडेय आदि शामिल हैं।