जब अपने पेशे को बनाएंगे पैशन तभी निखरेगी कला Prayagraj News
अपने पेशे को आप पैशन बनाएंगे तभी कला में निखार आएगा। यह मानना है एनसीजेडसीसी के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर का।
By Edited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 02:07 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। शहर से लेकर गांव और यहां तक कि जंगलों में भी तरह-तरह की कला संस्कृतियां पाई जाती हैं। यही हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। हालांकि इन संस्कृतियों के लुप्त होने का सिलसिला भी तेजी से चल निकला है। वजह, आधुनिक गीत संगीत और अजीबोगरीब कलाकारी नई पीढ़ी को भटकाव के रास्ते पर ले जा रही है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) इन्हीं कला संस्कृतियों को संजोने का सशक्त मंच है। इसकी मूल भावना पर निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने दैनिक जागरण से विस्तार से बातचीत की।
सवाल : एनसीजेडसीसी को उद्देश्य पूर्ति के लिए दिशा देने की क्या है तैयारी ?
जवाब : हमारा मुख्य उद्देश्य लोक कलाओं को कामयाब तरीके से प्रचारित करना है। लोक कलाओं को बढ़ावा देने के लिए कई सारी विधाएं है जिनसे नई पीढ़ी परिचित नहीं है। हम लोक कलाओं को जिंदा रखने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
सवाल : मौजूदा सांस्कृतिक गतिविधियों से आप कितने संतुष्ट हैं ?
जवाब : बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूं। मैं खुद कलाकार हूं। जमीनी तौर पर कला, संस्कृति और मंच से जुड़ा हूं। कला की गुणवत्ता को पहचानने के लिए नजरिए की जरूरत होती है। यह तभी होगा जब आप अपने पेशे को पैशन बना लें। मुझे नहीं लगता कि प्रयागराज में पूर्व में ऐसा कुछ हुआ हो।
सवाल : चित्रकला में प्रयागराज से कोई राष्ट्रीय प्रतिभा बीते एक-दो दशक में नहीं उभरी ?
जवाब : देखिए, शिक्षक की पहचान अपने विद्यार्थी की वजह से होती है। चित्रकला में यहां से राष्ट्रीय स्तर पर किसी का नाम रोशन न होने के पीछे यही वजह है कि ऐसे शिक्षकों की कमी है। प्रयागराज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ इस बात की है कि उसे सही मार्गदर्शक मिले।
सवाल : आप खुद एक कुशल चित्रकार हैं। इस दिशा में आप क्या करेंगे ?
जवाब : विद्यार्थी की प्रतिभा और उसके कार्य की क्षमता को देखते हुए उसकी कला को उभारना मेरा प्रथम कर्तव्य होगा। चित्रकला के विद्यार्थी चाहेंगे तो उन्हें उचित मार्गदर्शन दूंगा। मैंने खुद फिल्मों के होर्डिग्स देखकर चित्रकारी सीखी है। कुछ वैसा ही जुनून युवाओं में भी पैदा करने का प्रयास होगा।
सवाल : सात राज्यों का मुख्यालय होने के नाते कार्यक्रमों में इजाफा कैसे कर रहे हैं?
जवाब : तीन मुख्य कार्यक्रम प्रयागराज में होते हैं। दूसरे राज्यों में भी कई बड़े आयोजन लगातार कराए जा रहे हैं। 'अतुल्य भारत' कार्यक्रम इसमें प्रमुख हैं।
सवाल : देश को कलाकार देने में क्या भूमिका होगी ?
जवाब : प्रतिभाओं को निखारकर उन्हें उचित मंच देने की कोशिश की जा रही है। श्रृंखलाबद्ध तरीके से प्रशिक्षण कार्यशालाएं शुरू करने के पीछे भी यही प्रमुख कारण है। हम चाहेंगे कि यहां से बच्चे कुछ सीखें और अपने साथ देश का नाम भी रोशन करें।
सवाल : एनसीजेडसीसी को उद्देश्य पूर्ति के लिए दिशा देने की क्या है तैयारी ?
जवाब : हमारा मुख्य उद्देश्य लोक कलाओं को कामयाब तरीके से प्रचारित करना है। लोक कलाओं को बढ़ावा देने के लिए कई सारी विधाएं है जिनसे नई पीढ़ी परिचित नहीं है। हम लोक कलाओं को जिंदा रखने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
सवाल : मौजूदा सांस्कृतिक गतिविधियों से आप कितने संतुष्ट हैं ?
जवाब : बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूं। मैं खुद कलाकार हूं। जमीनी तौर पर कला, संस्कृति और मंच से जुड़ा हूं। कला की गुणवत्ता को पहचानने के लिए नजरिए की जरूरत होती है। यह तभी होगा जब आप अपने पेशे को पैशन बना लें। मुझे नहीं लगता कि प्रयागराज में पूर्व में ऐसा कुछ हुआ हो।
सवाल : चित्रकला में प्रयागराज से कोई राष्ट्रीय प्रतिभा बीते एक-दो दशक में नहीं उभरी ?
जवाब : देखिए, शिक्षक की पहचान अपने विद्यार्थी की वजह से होती है। चित्रकला में यहां से राष्ट्रीय स्तर पर किसी का नाम रोशन न होने के पीछे यही वजह है कि ऐसे शिक्षकों की कमी है। प्रयागराज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ इस बात की है कि उसे सही मार्गदर्शक मिले।
सवाल : आप खुद एक कुशल चित्रकार हैं। इस दिशा में आप क्या करेंगे ?
जवाब : विद्यार्थी की प्रतिभा और उसके कार्य की क्षमता को देखते हुए उसकी कला को उभारना मेरा प्रथम कर्तव्य होगा। चित्रकला के विद्यार्थी चाहेंगे तो उन्हें उचित मार्गदर्शन दूंगा। मैंने खुद फिल्मों के होर्डिग्स देखकर चित्रकारी सीखी है। कुछ वैसा ही जुनून युवाओं में भी पैदा करने का प्रयास होगा।
सवाल : सात राज्यों का मुख्यालय होने के नाते कार्यक्रमों में इजाफा कैसे कर रहे हैं?
जवाब : तीन मुख्य कार्यक्रम प्रयागराज में होते हैं। दूसरे राज्यों में भी कई बड़े आयोजन लगातार कराए जा रहे हैं। 'अतुल्य भारत' कार्यक्रम इसमें प्रमुख हैं।
सवाल : देश को कलाकार देने में क्या भूमिका होगी ?
जवाब : प्रतिभाओं को निखारकर उन्हें उचित मंच देने की कोशिश की जा रही है। श्रृंखलाबद्ध तरीके से प्रशिक्षण कार्यशालाएं शुरू करने के पीछे भी यही प्रमुख कारण है। हम चाहेंगे कि यहां से बच्चे कुछ सीखें और अपने साथ देश का नाम भी रोशन करें।
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