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Coronavirus Lockdown : मुश्किल से मिले इस वक्त को अपनों के साथ बनायें यादगार Prayagraj News

मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार पासवान का कहना है कि लॉक डाउन में लोगों की आमदनी व आजादी कम हो गयी है और उनके पास फ़ालतू वक्त और असुरक्षा की भावना बढ़ गयी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 06:14 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:14 PM (IST)
Coronavirus Lockdown : मुश्किल से मिले इस वक्त को अपनों के साथ बनायें यादगार Prayagraj News
Coronavirus Lockdown : मुश्किल से मिले इस वक्त को अपनों के साथ बनायें यादगार Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना वायरस को मात देने के लिए घर से बाहर निकलना पूरी तरह से मना है, ऐसे में लोग घर में मन लगाने की तरह-तरह की तरकीब आजमा रहे हैं । इस महत्वपूर्ण समय को घर-परिवार के साथ बिताने के साथ ही सगे-सम्बन्धियों और इष्ट मित्रों से फोन या संदेशों के आदान-प्रदान के जरिये संपर्क में रहना भी एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है । इससे जहाँ एक-दूसरे का हालचाल जान सकेंगे वहीँ संबंधों में एक मिठास का भाव भी देखने को मिलेगा ।

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नजरिया बदलकर दूर कर सकते हैं तनाव

मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार पासवान का कहना है कि लॉक डाउन में लोगों की आमदनी व आजादी कम हो गयी है और उनके पास फ़ालतू वक्त और असुरक्षा की भावना बढ़ गयी है लिहाजा तनाव बढ़ना लाजमी है । हम इस तनाव को नजरिया बदलकर दूर कर सकते हैं । लॉक डाउन कोरोना का फैलाव रोकने के लिए जरूरी है । दूसरा, आप घर में रहकर देश समाज के लिए योगदान दे रहे हैं । तीसरा, यह अनंत काल की समस्या नहीं है । यह जल्द ही ख़त्म हो जाएगा । लॉक डाउन के वक्त को छुट्टी की तरह इस्तेमाल करें । पति-पत्नी एक दूसरे को वक्त दें । बच्चों के साथ खेलें । समय बचे तो भविष्य की प्लानिंग करें ।        

पुरानी यादों को ताजा कर संबंधों को दे सकतें ताजगी

इसके साथ ही दौड़ती-भागती जिन्दगी में एकाएक आये ठहराव का असर किसी के भी आचार-व्यवहार में साफ़ देखा जा सकता है । ऐसे ही समय में लोगों के धैर्य की असली परीक्षा होती है । इस समय अपनी बदली दिनचर्या में कुछ समय अपने शुभचिंतकों से फोन के जरिये जुड़कर भी पुरानी यादों को ताजा करने के साथ ही सम्बन्धों को फिर से एक ताजगी दे सकते हैं । इसके लिए भी सावधानी बरतने की जरूरत है कि एक दूसरे से फोन पर भी बात करते समय सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस के खतरों के बारे में वार्तालाप न करें । अखबार-टीवी और आस-पड़ोस में लोग सिर्फ कोरोना के बारे में सुन-सुन कर ऊब चुके हैं, इसलिए उन्हें कुछ समय के लिए इससे हटकर बात करने की जरूरत महसूस होती है ।

न किसी के घर जाएं और न किसी को घर बुलाएं

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का मूल मन्त्र जरूरी सावधानी बरतने के साथ ही सोशल डिस्टेनशिंग (सामाजिक दूरी) को बरक़रार रखने में ही है । इसके लिए जरूरी है कि जब तक वायरस का खतरा बरकरार है तब तक न तो किसी के घर जाएं और न ही किसी को अपने घर पर बुलाएं । अगर आस-पड़ोस में किसी से बात करना बहुत ही जरूरी हो तो एक मीटर की दूरी बनाए रखें । साबुन-पानी से अच्छी तरह से हाथ धोएं ।

योग और पुस्‍तकों को अध्‍ययन करते हैं बुजुर्ग दंपती

एक बुजुर्ग दम्पति ने बातचीत में बताया कि वह लोग इस लॉक डाउन के वक्त प्रतिदिन कुछ समय के लिए वीडियो काल कर बाहर रह रहे अपने नाती-पोतों के संपर्क में रहते हैं । इससे जहाँ उनका समय भी अच्छे से व्यतीत हो जाता है । इसके अलावा कुछ वक्त योगा करके तो कुछ समय पुस्तकों का अध्ययन करके बिताते हैं , जो कि एक अलग तरह का अनुभव भरा है ।


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