Mahant Narendra Giri Death: जमीन की लीज रद करने को तैयार नहीं हुए थे आनंद गिरि
महंत नरेंद्र गिरि की पिछले महीने 20 सितंबर को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के अतिथि कक्ष के अंदर संदिग्ध हालात में मृत्यु की जांच कर रही सीबीआइ ने सोमवार को उनके अधिवक्ता ऋषि शंकर द्विवेदी व महादेव द्विवेदी से घर पर लंबी पूछताछ की।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की पिछले महीने 20 सितंबर को संदिग्ध हालात में मृत्यु की जांच कर रही सीबीआइ ने सोमवार को उनके अधिवक्ता ऋषि शंकर द्विवेदी व महादेव द्विवेदी से घर पर लंबी पूछताछ की। अधिवक्ता ने सीबीआइ अधिकारियों को बताया कि कई साल पहले नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद गिरि के नाम मठ की जमीन को लीज पर दिया था। इसके बाद उसी जमीन पर पेट्रोल पंप खोलने की बात हुई। तब उस जमीन को पेट्रोलियम कंपनी को लीज पर दिया जाना था। महंत ने जब आनंद गिरि से जमीन को कंपनी के नाम ट्रांसफर करने के लिए कहा तो उन्होंने इन्कार कर दिया। फिर महंत के कहने पर अधिवक्ता ऋषि शंकर द्विवेदी ने कोर्ट में लीज रद्द करने की तैयारी शुरू कर दी, मगर कोरोना महामारी के संक्रमण के चलते अदालत की कार्यवाही बाधित हो गई थी, जिस कारण लीज रद्द नहीं हो सकी।
महंत के अधिवक्ता ने सीबीआइ को बताया, जांच एजेंसी ने हस्ताक्षर का लिया नमूना
सीबीआइ को महंत नरेंद्र गिरि से जुड़े मुकदमों की जानकारी भी दी गई। बताया गया कि अधिवक्ता महादेव द्विवेदी ने महंत ने खुद जिन मुकदमों को दर्ज कराया था और जो उनके खिलाफ चल रहे थे, उन सभी के बारे में जांच एजेंसी को विस्तार से बताया। इसके बाद उनके बेटे ऋषि शंकर ने वसीयत की पूरी जानकारी दी। बताया कि महंत लिखने में परहेज जरूर करते थे, लेकिन हस्ताक्षर करते थे। वसीयत पर किए गए हस्ताक्षर का नमूना भी सीबीआइ के अधिकारियों ने लिया। साथ ही कई और दस्तावेज लिए, जिनकी आगे जांच होगी। कहा जा रहा है कि सीबीआइ की टीम महंत से जुड़े मुकदमों की भी पड़ताल करेगी, ताकि कुछ सुराग व साक्ष्य संकलित किया जा सके। खासकर अभियुक्त आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी व उसके बेटे संदीप से जुड़े सबूतों को जुटाया जा रहा है।