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Magh Mela 2021 : तिरंगे की शान बढ़ाने को लड़े कारगिल युद्ध, अब धर्म ध्वजा थामे हैं रिटायर सूबेदार Prayagraj News

Magh Mela 2021 कुशल प्रसाद बताते हैं कि संगम में दिन-रात भगवान का भजन करते रहते हैं। भोर में साढ़े तीन बजे उठ जाते हैैं। प्रतिदिन सुंदरकांड करते हैं। दिन में एक बार ही भोजन करते हैं। बताते हैैं कि भक्ति भजन में दिन बीत जाता है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 11:53 AM (IST)
Magh Mela 2021 : तिरंगे की शान बढ़ाने को लड़े कारगिल युद्ध, अब धर्म ध्वजा थामे हैं रिटायर सूबेदार Prayagraj News
रिटायर सूबेदार मेजर कुशल प्रसाद ओझा पत्नी चंद्रवती और बहू के साथ पिछले 21 साल से कल्पवास कर रहे हैं।

प्रयागराज, [अमितेश पांडेय]। पहले सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की। कारगिल का युद्ध लड़ तिरंगा की शान बढ़ाई। अब संगम तीरे धर्म की ध्वजा पहरा रहे हैं। भगवान का भजन कर सेवा दान भी कर रहे हैं। राम का धाम चित्रकूट के खपटिया गांव निवासी रिटायर सूबेदार मेजर कुशल प्रसाद ओझा पत्नी चंद्रवती और बहू के साथ पिछले 21 साल से कल्पवास कर रहे हैं। वह रामानंद अ मार्ग स्थित महंत सालिकराम दास के शिविर में रह रहे हैं।

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मकर संक्रांति पर शाही स्नान करने के लिए वह 12 जनवरी को ही संगम आ गए। वह बताते हैं कि संगम में उनको एक अलग ही सुखद अहसास होता है। इसीलिए 11 माह ड्यूटी करते थे, ताकि एक माह के कल्पवास के लिए छुट्टी आसानी से मिल जाए। इसके बाद 2002 में रिटायर हो गए। तब से  लगातार संगम आकर प्रभु का भजन कर रहे हैैं। वह बेसहारों को भोजन खिला सेवादान भी करते हैं। 

1999 में दुश्मनों को दी थी पटकनी

कुशल प्रसाद ओझा बताते हैं कि 1965 में वह आइटीबीपी (भारतीय तिब्बत सीमा बल) में ट्रेनिंग कर रहे थे। उसी समय भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। जम्मू और कश्मीर के मंडी सेक्टर से उन्हें भी युद्ध के लिए भेज दिया गया। इसके बाद 1999 में कारगिल की लड़ाई लड़ी। घर आते-आते पांच-छह को पटकनी देकर आया। 

भगवान के भजन में रहते हैं लीन

कुशल प्रसाद बताते हैं कि संगम में दिन-रात भगवान का भजन करते रहते हैं। भोर में साढ़े तीन बजे उठ जाते हैैं। प्रतिदिन सुंदरकांड करते हैं। दिन में एक बार ही भोजन करते हैं। बताते हैैं कि भक्ति भजन में दिन बीत जाता है।


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