प्रयागराज, जागरण संवाददाता। माघ मेला में तमाम अव्यवस्थाओं के बीच देश भर से साधु संत पहुंच गए हैं। कई बड़े साधु महात्मा शिविर में पधार चुके हैं। उनके दर्शन और आशीष के लिए भक्त भी शिविरों पर जा रहे है। ऐसे में अब माघ मेले में धर्म अध्यात्म की गंगा बहने लगी है।
सनातन धर्म की मान्यताएं और परंपराएं विज्ञान आधारित हैं
पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती भी माघ मेले में आ चुके हैं। मेले में त्रिवेणी मार्ग स्थित अपने शिविर में भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म की मान्यताएं और परंपराएं विज्ञान आधारित हैं, जिसमें समस्त समस्याओं का समाधान समाहित है। जरूरत है उसका ईमानदारी से पालन करने की। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने उक्त विचार व्यक्त किए। माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग स्थित अपने शिविर में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र का उत्थान करना है तो सनातन धर्म की मान्यताओं को अपनाना होगा। इसके लिए वर्ण व्यवस्था को नियमानुसार लागू करने की जरूरत है।
बिना सनातन धर्म के राष्ट्र का विकास संभव नहीं
शंकराचार्य ने कहा कि बिना सनातन धर्म के राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। सनातन धर्म मान्यता की पुष्टि मनु स्मृति से होनी चाहिए। मनु स्मृति से सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार वर्ण व्यवस्था को निर्धारित किया है। देश को आजादी मिलने के बाद वर्ण आश्रम व्यवस्था में काफी विसंगतियां आयी हैं, उसका गलत प्रचार किया गया है। कहा कि कुछ लोगों ने वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था बनाने का प्रयत्न किया है, लेकिन उसमें सफल नहीं हुए। आज पुरानी वर्ण व्यवस्था लागू करने की जरूरत है। उन्होंने परमात्मा व जीव आत्मा के मर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला।
a