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श्रावण में माधव परिक्रमा का 'श्रीगणेश'

सालों से ठप द्वादश (बारह) माधव की परिक्रमा श्रावण मास में शुरू होगी। प्रशासन परिक्रमा मार्ग को दुरुस्त करा रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिसद फिर से शुरू करेगा धार्मि परंपरा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 06:04 AM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 06:04 AM (IST)
श्रावण में माधव परिक्रमा का 'श्रीगणेश'
श्रावण में माधव परिक्रमा का 'श्रीगणेश'

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद : सालों से ठप द्वादश (बारह) माधव की परिक्रमा श्रावण मास में शुरू होगी। अगस्त के पहले पखवाड़े में संत व श्रद्धालु इसकी शुरुआत करेंगे। इसके मद्देनजर परिक्रमा मार्ग को दुरुस्त कराने के साथ द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद परिक्रमा को लेकर तैयारी में जुटा है।

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धार्मिक मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा ने द्वादश माधव की स्थापना की। महर्षि भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि इसकी परिक्रमा करते रहे हैं। मुगल व अंग्रेजी शासनकाल में द्वादश माधव मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया गया, जिससे परिक्रमा की परंपरा रुक गई। देश आजाद होने के बाद संत प्रभुदत्त ब्रह्माचारी ने द्वादश माधव की खोज की। शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ ने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ 1961 में माघ मास में द्वादश माधव की परिक्रमा आरंभ कराई। संतों व भक्तों ने मिलकर तीन दिन पदयात्रा करते हुए परिक्रमा पूरी की। परिक्रमा 1987 तक चलकर बंद हो गई। फिर तीन साल के अंतराल के बाद 1991 में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी ने परिक्रमा कराई, उसके बाद से यह बंद है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि प्रशासन ने द्वादश माधव परिक्रमा मार्ग श्रावण तक पूरा करने का आश्वासन दिया है। श्रावण मास से द्वादश माधव की परिक्रमा पुन: शुरू कराई जाएगी।

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हर तीर्थो का मिलता है पुण्य

स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी बताते हैं कि सृष्टि रचना को ब्रह्माजी ने यज्ञ के लिए त्रिकोणात्मक वेदी बनाई थी। उसे अंतर्वेदी, मध्य वेदी, बर्हिवेदी के रूप में जाना जाता है। बहिर्वेदी में झूंसी, अंतर्वेदी में अरैल व मध्यवेदी दारागंज का क्षेत्र है। हर क्षेत्र में चार-चार माधव स्थित हैं। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव परिक्रमा करने वाले को सारे तीर्थो व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।

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कहां स्थित हैं कौन से माधव

अंतर्वेदी के माधव--

वेणीमाधव : दारागंज स्थित वेणी (त्रिवेणी) तट पर वेणी माधव विद्यमान हैं। यह प्रयाग के नगर देवता हैं।

अक्षयवट माधव : यह गंगा-यमुना के मध्य में विराजमान हैं।

अनंत माधव : दारागंज मोहल्ले में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।

असि माधव : शहर के ईशान कोण में स्थित नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।

मनोहर माधव : जानसेनगंज में मनोहर माधव का वास है। द्रव्येश्वरनाथ महादेव मंदिर में लक्ष्मीयुक्त मनोहर माधव हैं।

बिंदु माधव : शहर के वायव्य कोण में द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव निवास है।

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मध्यवेदी के माधव

श्रीआदि माधव : संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।

चक्र माधव : प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में सोमेश्वर मंदिर के निकट स्थित हैं चक्र माधव।

श्रीगदा माधव : यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।

पद्म माधव : यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।

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बहिर्वेदी के माधव

संकटहर माधव : झूंसी में गंगा तट पर वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है।

शंख माधव : झूंसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में शंख माधव की स्थली मानी जाती है।

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'द्वादश माधव परिक्रमा मार्ग जुलाई तक पूरा हो जाएगा। संत-महात्मा उसके बाद इस मार्ग से परिक्रमा कर सकेंगे।'

-विजय किरन आनंद, कुंभ मेलाधिकारी


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