पुराने पाठ्यक्रमों के आधार पर होंगी मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं
मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं पुराने पाठ्यक्रमों के आधार पर होगी। एनसीईआरटी सिलेबस से पढ़ाई न होने से असमंजस की स्थिति है। प्रस्तावित नवीन पाठ्यक्रमों के अनुसार पठन-पाठन नहीं शुरू हो सका है।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 06:26 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 06:26 PM (IST)
प्रयागराज : जिले के अरबी, फारसी मदरसा बोर्ड से जुड़े तमाम मदरसों में पुराने पाठ्यक्रम के अनुसार ही अर्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाएं होंगी। शासन द्वारा लागू एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) की पुस्तकें न मिलने और शिक्षकों के प्रशिक्षण के अभाव में मदरसों में नए स्लेबस के आधार पर अध्यापन कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
जिले में लगभग 300 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता वाले मदरसे हैं। इनमें कई वित्तीय सहायता प्राप्त भी हैं। इस सत्र की शुरूआत में शासन की मंशा के अनुसार सभी मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया था। हालांकि काउंसिल के पाठ्यक्रम से अध्यापन के लिए किसी भी मदरसे ने रुचि नहीं दिखाई। इसकी वजह यह रही कि पहले शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों में निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण होता था। एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में अभिभावकों की जेब पर खासा बोझ भी पड़ रहा है। बाजार में काउंसिल की किताबें उर्दू माध्यम से उपलब्ध भी नहीं हो पाई है।
उधर प्रयागराज के दौरे पर आए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पाठ्यक्रम को शुरू होने में आने वाली समस्याओं को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से संवाद करने को कहा था। हालांकि वर्तमान पाठ्यक्रम पर अमल के लिए अभी तक शासन स्तर से पहल नहीं की गई। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी एससी तिवारी का कहना है कि मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों को लागू करने का आदेश दिया गया था। नवीन पाठ्यक्रमों में अनुसार दीनी मकतबों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामजिक विज्ञान आदि विषय शामिल किए गए हैं।
जिले में लगभग 300 मान्यता प्राप्त एवं गैर मान्यता वाले मदरसे हैं। इनमें कई वित्तीय सहायता प्राप्त भी हैं। इस सत्र की शुरूआत में शासन की मंशा के अनुसार सभी मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया था। हालांकि काउंसिल के पाठ्यक्रम से अध्यापन के लिए किसी भी मदरसे ने रुचि नहीं दिखाई। इसकी वजह यह रही कि पहले शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों में निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण होता था। एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में अभिभावकों की जेब पर खासा बोझ भी पड़ रहा है। बाजार में काउंसिल की किताबें उर्दू माध्यम से उपलब्ध भी नहीं हो पाई है।
उधर प्रयागराज के दौरे पर आए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पाठ्यक्रम को शुरू होने में आने वाली समस्याओं को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से संवाद करने को कहा था। हालांकि वर्तमान पाठ्यक्रम पर अमल के लिए अभी तक शासन स्तर से पहल नहीं की गई। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी एससी तिवारी का कहना है कि मदरसों में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों को लागू करने का आदेश दिया गया था। नवीन पाठ्यक्रमों में अनुसार दीनी मकतबों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामजिक विज्ञान आदि विषय शामिल किए गए हैं।
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