Lockdown ने सोशल मीडिया पर बदली रंगत, अब वाट्सएप पर धर्म-कर्म व सेवाभाव के संदेश Prayagraj News
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. कमेलश तिवारी कहते हैं कि लॉकडाउन ने सभी पर एक साथ प्रभाव डाला। इससे मानसिक परिस्थिति बड़ी तेजी से बदली। लोगों में धर्म और सेवा की भावना जगी है।
प्रयागराज, जेएनएन। अब सुबह वाट्सएप पर गुड मार्निंग, फूल, झील, शेर-ओ-शायरी जैसे संदेश कम ही नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के चलते गुड मार्निंग का तरीका बदल गया है। अब सुबह वाट्सएप पर धर्म, कर्म और सेवाभाव के संदेश आने लगे हैं।
शुक्र करो ऊपर वाले ने आपको देने वालों में रखा है, मांगने वालों में नहीं...
फिर मुस्कुराइये इंडिया। अगर कोई आपसे कुछ मांगे तो दे दिया करो...शुक्र करो ऊपर वाले ने आपको देने वालों में रखा है, मांगने वालों में नहीं...। आओ हम एक रहें, साथ चलें...जैसे संदेश इन दिनों कई लोगों के मोबाइल स्टेटस पर लगे हैं। किसी के वाट्सएप पर कोरोना से बचने के लिए देसी नुस्खे अपनाने की जानकारी तो कभी घर में रहें सुरक्षित रहें, नमस्ते...के संदेश हैं।
मजाकिया संदेशों को वायरल करने की होड़ भी नहीं दिख रही
सुबह-सुबह अब फूल, किसी लुभावने चेहरे के साथ गुड मार्निंग या फिर एक-दूसरे से पहले मजाकिया संदेशों को वायरल करने की होड़ भी नहीं दिख रही है। लॉकडाउन ने लोगों के मनोभाव में ऐसा बदलाव किया कि बच्चे ही नहीं युवा भी एक-दूसरे की देखादेखी पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागने से बच रहे हैं।
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि लॉकडाउन ने सभी पर डाला प्रभाव
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. कमेलश तिवारी कहते हैं कि हर कोई जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। अपने को एक-दूसरे से सुपर मानना उसके स्वभाव में होता है लेकिन लॉकडाउन ने सभी पर एक साथ प्रभाव डाला। इससे मानसिक परिस्थिति बड़ी तेजी से बदली। लोगों में धर्म और सेवा की भावना जगी है। हम होंगे कामयाब एक दिन, इस आत्म विश्वास की भावना से ओतप्रोत होकर लोग कोरोना वायरस से लडऩे के लिए एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। यही संस्कृति अब सोशल मीडिया पर भी छा रही है।