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कुली...ओ कुली...सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं, फिर भी बेगाने Prayagraj News

यात्रियों की एक आवाज पर दौड़ते हैं वह फिर भी बेगाने हैं। यह हाल है बस स्‍टैंड पर लोगाें का सामान ढोने वाले कुलियों का है। उन्‍हें सुविधाएं नहीं मिलतीं। दिहाड़ी मजदूरों से भी खराब

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 11:58 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 11:58 AM (IST)
कुली...ओ कुली...सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं, फिर भी बेगाने Prayagraj News
कुली...ओ कुली...सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं, फिर भी बेगाने Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। कुली...ओ कुली...सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं, लोग आते हैं लोग जाते हैं, हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं...यूं तो यह गीत 80 के दशक में बनी सुपर हिट फिल्म कुली का है। इसी फिल्म में मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन को चोट लगी थी। खैर यह हम फिल्म की समीक्षा नहीं कर रहे, बल्कि कुलियों की स्थिति पर चर्चा कर रहे। वो कुली चाहे रेलवे स्टेशनों पर हों या फिर बस अड्डों पर उनकी दिक्कत तो है ही। रोडवेज बस स्टैंड पर प्राय: सभी को कुली की जरूरत पड़ती रहती है। यात्रियों के पास सामान अधिक हो, या बसों के जरिए पार्सल कहीं से आने या भेजने का मौका आए। बसें खराब हुईं तो धक्का भी लगाने के लिए कुली को ही पुकारा जाता है। इन सब के बाद भी कुलियों की स्थिति दिहाड़ी मजदूरों से बदतर है।

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रोडवेज के कुली किसी प्रकार परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं

प्रयागराज मुख्यालय में रोडवेज के कुलियों का पंजीकरण है। सिविल लाइंस बस स्टैंड परिसर, जीरो रोड, प्रतापगढ़ और मीरजापुर में भी कुली दो सौ से चार सौ रुपये प्रत्येक दिन कमाई कर जैसे-तैसे परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं। उनकी हालत को देखने और सुनने वाला कोई नहीं है। प्रयागराज के कुली बताते हैं कि केवल उनके साथ ही नहीं, अन्य जिलों में भी ऐसे ही हालात हैं। 

सभी टरका रहे, हम क्या करें : फूलचंद्र

कुली फूलचंद्र कहते हैं कि सिविल लाइंस बस स्टैंड पर 30 साल से सामान ढो रहे हैं। अब तक किसी तरह की सुविधा नहीं मिल सकी। बसपा शासनकाल में कुलियों के समूह को तत्कालीन मंत्री रामअचल राजभर ने टरका दिया था। पिछले माह सिविल लाइंस बस स्टैंड पर रोडवेज के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर आए तो अधिकारियों ने उनसे मिलने नहीं दिया।

नजरअंदाज किया जाता है : रामप्रकाश

कुली रामप्रकाश ने कहा कि परिसर में किसी यात्री या विभाग का सामान सुरक्षित रख पाना कठिन होता है। सामान चोरी होने का डर रहता है। करीब 25 साल से यहीं काम कर रहे हैं। पंजीकरण शुल्क भी देते हैं लेकिन, हमें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

सिविल लाइंस डिपो के बोले एआरएम

सिविल लाइंस डिपो के एआरएम मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि सिविल लाइंस डिपो के एआरएम मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि कुलियों का सहयोग किया जा रहा है। उन्हें लाइसेंस दिया गया है। लगेज ट्राली उपलब्ध कराई गई है। सुपरवाइजर लगातार उनकी निगरानी के लिए लगाए गए हैं। रैन बसेरा के पास कुली अस्थाई रूप से रह रहे हैं। शासन स्तर पर कोई पॉलिसी आती है तो उसके तहत कुलियों को लाभ दिलाया जाएगा।


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