साहित्यकार चेतना सिंह चितेरी ने कहा- सशक्त महिला समाज के लिए जरूरी है शिक्षा Prayagraj News
साहित्यकार चेतना सिंह ने कहा कि बदलते दौर में भारतीय महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्होंने किसी काम को छोटे बड़े के तराजू पर नहीं तोला। उनका पूरा प्रयास होता है कि अपने पैरों पर खड़ी हों। वह इस प्रयास में सफल भी हो रही हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है, निर्णय स्वयं ले सकें। भले ही वह सामाजिक हो आर्थिक हो या फिर राजनीतिक। स्वयं निर्णय लेकर ही महिलाएं खुद को स्थापित कर सकेंगी। यह कहना है कि साहित्यकार चेतना सिंह चितेरी का। प्रयागराज में उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। महिलाएं जितनी शिक्षित होंगी वह राष्ट्र उतना ही विकसित होगा। घर से लेकर बाहर तक महिलाएं कार्य कर रही हैं, अपनी प्रखर प्रतिभा से वह समाज में व्याप्त कुरीतियों को भी दूर करने में लगी हैं।
बोलीं, दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रही हैं महिलाएं
चेतना सिंह ने कहा कि बदलते दौर में भारतीय महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। वास्तव में देखा जाए तो उन्होंने किसी काम को छोटे बड़े के तराजू पर नहीं तोला। उनका पूरा प्रयास होता है कि अपने पैरों पर खड़ी हों। वह इस प्रयास में सफल भी हो रही हैं। कई महिलाएं तो छोटी पूंजी लगाकर कार्य कर रही हैं। आगे बढऩे से उनमें आत्म विश्वास भी बढ़ रहा है। वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रही हैं।
कई स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका भी सराहनीय
महिलाओं को मजबूत करने के लिए अनेक संस्थाएं कार्य कर रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय से लेकर राष्ट्रीय संगठन इस दिशा में प्रयासरत हैं। हमारे देश की और प्रदेश की सरकार भी इसके लिए निरंतर कोशिश कर रही है। इसी प्रयास का नतीजा है कि समान वेतन का अधिकार, कन्या भ्रूण हत्या रोकने का कानून, कार्यस्थल पर उत्पीडऩ के खिलाफ कानून, संपत्ति का अधिकार मिल चुका है।
साहित्य ने भी जगाई चेतना
स्त्री को लेकर भारतीय साहित्य दर्शन और धर्म शास्त्रों में भी बहुत कुछ है। एक तरफ जहां कोमल पक्ष है तो दूसरी तरफ उसकी बौद्धिक क्षमता और शक्ति को भी उभारा गया है। अलग अलग काल परिस्थितियों में समुचित वर्णन मिलता है। इनका अपना महत्व भी है। जो वर्तमान समाज के लिए भी प्रेरणा है।