प्रतापगढ़ में सई और बकुलाही नदी की तराई में तेंदुए ने बनाया ठिकाना
भेड़ को तेंदुए ने अपना शिकार बना लिया। एक भेड़ को गंभीर रूप से घायल भी कर दिया। शेखपुर निवासी गोली पाल और आशापुर निवासी अर्जुन सिंह ने तो दूर से तेंदुए को देखा भी।
प्रयागराज, जेएनएन। पडोसी जनपद प्रतापगढ़ में तेंदुए को बेल्हा का तराई इलाका भा गया है। अब वह कुंडा व सदर क्षेत्र के बाद पट्टी रेंज में भी पहुंच गया है। वहां के दर्जनों गांवों के लोगों को दहशत में नींद नहीं आ रही है। इधर वन विभाग ने भी यह मान लिया है कि क्षेत्र में जिस जानवर के फुट मार्क मिले हैं वह वास्तव में तेंदुए के ही हैं।
तराई इलाकों में छिपने के लिए मिल जाती खोह
जिले में बकुलाही नदी के किनारे हरी-भरी तराई, ऊबड़-खाबड़ धरातल और सरपतों के बीच तेंदुओं ने ठिकाना बना लिया है। वहां उनको आसानी से पीने के नदियों का पानी, शिकार करने को जंगली जानवर व छिपने को खोह भी मिल जाती हैं। एक तरह से उनको प्राकृतिक आवास सी सुविधा मिलने से वह तराई इलाके को नहीं छोड़ रहे हैं। जंगल में जब उनके डर से कुत्ते, बकरी, सियार भाग जाते हैं तो वह भूख मिटाने को करीब की बस्तियों में आकर गाय, बकरी, कुत्तों पर हमला करते हैं। उनको कोई साफ तौर पर तो नहीं देख पाया है, पर दूर से देखा है। पैरों के निशान भी उनके ही हैं। तेंदुए एक नहीं कई हैं, ऐसी आशंका के चलते क्षेत्र के आशापुर, कठार, शेखपुर अठगंवा, बड़ारी, रसुलहा, गजरिया, सिसौरा, दुखियापुर, गोंई, दोनई जैसे दर्जनों गांवों में इनका आतंक है। लोग न तो खेत जा पा रहे हैं, ना शाम को बाजार या मंदिर। इस खतरनाक जंगली जानवर ने कई भेड़, बकरियों, कुत्तों को अब तक अपना निवाला चुका है।
पैरों के निशान ने की तेंदुए की पुष्टि
पहले तो वन विभाग यह मानने को ही तैयार नहीं था कि तेंदुआ होगा, पर अब मान रहा हैं। कानपुर चिडिय़ाघर के विशेषज्ञों को खेतों में मिले फुट मार्क के फोटो भेजकर मिलान करवाया तो ग्रामीणों की आशंका सही साबित हुई। वास्तव में पैरों के निशान जंगली कुत्ते, भेडिय़े या सियार के नहीं बल्कि तेंदुए के ही साबित हुए। वह लगातार अपना क्षेत्र बढ़ा रहा है। इससे डर इतना है कि छोटे-छोटे बच्चों का घर से बाहर आकर खेलना भी लोगों ने रोक दिया है। उनको डर सता रह है कि न जाने कब तेंदुआ उनके कलेजे के टुकड़े पर हमला कर दे।
चलाएंगे जागरूकता अभियान
डीएफओ बीआर अहीरवार का कहना है कि पट्टी क्षेत्र में तेंदुआ सक्रिय है। उसे पकडऩे को टीम लगी है। क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा को लेकर जागरूक किया जाएगा। उनको जागरूकता के पर्चे बांटे जाएंगे।
दस साल से है दहशत
जिले में तेंदुए की दहशत करीब 10 साल से है। सबसे पहले राजगढ़ क्षेत्र में यह आया था। उसके बाद कई महीने तक कुंडा और बाघराय क्षेत्र में रहा। एक तो वहां पर जीवित पकड़ा भी गया था, जो कानपुर चिडिय़ाघर में रखा गया है। एक तेंदुए को तो ग्रामीणों ने बूढ़ेपुर बाघराय में भयवश जलाकर मार भी दिया था। इसका मुकदमा अब तक चल रहा है।
दोनई में भेड़ को बनाया शिकार
क्षेत्र के दोनई गांव में तेंदुए की आमद से लोग डरे हैं। मंगलवार की रात गांव निवासी महेंद्र कुमार पाल की भेड़ को तेंदुए ने अपना शिकार बना लिया। एक भेड़ को गंभीर रूप से घायल भी कर दिया। शेखपुर निवासी गोली पाल और आशापुर निवासी अर्जुन सिंह ने तो दूर से तेंदुए को देखा भी। दोनों लोगों ने जब यह बात अन्य लोगों को बताई तो वह भी भयभीत हो गए। क्षेत्राधिकारी पट्टी सुरेंद्र तिवारी ने गांव पहुंच कर निरीक्षण किया।
यह सावधानी बरतें
-लोग शाम के खेत व जंगल की ओर न जाएं।
-घर के निकट आग जलाकर रखें। आग से तेंदुआ डरता है।
-कुछ पटाखे रखें, हलचल दिखने पर उसे दगा दें।
-जानवरों को बाड़े में करके दरवाजे बंद रखें।
-खिड़की दरवाजे बंद करके सोएं, खुले में न सोएं।