लक्ष्मी-गणेश की मूर्तिया बनाने में जुटीं घर की लक्ष्मी
दीपों का त्योहार दीपावली मनाने के लिए सभी लोग अपने-अपने ढंग से तैयारियों में जुटे हुए हैं। दीपावली पर लक्ष्मी गणेश के पूजन का विशेष महत्व है। जिसके लिए विकासखंड फूलपुर के चिरौडी गांव में कुम्हार का पूरा कुनबा लक्ष्मी गणेश की मूíतयों को असली रंग देने में जुटा हुआ है।
अमलेंद्र त्रिपाठी, सहसों : दीपों का त्योहार दीपावली मनाने के लिए सभी लोग अपने-अपने ढंग से तैयारियों में जुटे हुए हैं। दीपावली पर लक्ष्मी गणेश के पूजन का विशेष महत्व है। जिसके लिए विकासखंड फूलपुर के चिरौडी गांव में कुम्हार का पूरा कुनबा लक्ष्मी गणेश की मूíतयों को असली रंग देने में जुटा हुआ है। जैस-जैसे दीपावली का त्योहार नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे परिवार के सभी सदस्य मिलकर गणेश लक्ष्मी सहित अन्य मूíतयों को अंतिम रूप देने में रात-दिन लगे हुए हैं। यहां की बनी हुई मूíतयां जौनपुर, भदोही तथा प्रयागराज जनपद के बाजारों में पिछले कई वर्षों से व्यापारियों द्वारा ले जाकर बेची जा रही हैं। जिसके लिए पूरा कुनबा लगभग चार माह पूर्व से ही इसकी तैयारी कर रहा है। इस पूरे कुनबे में सबसे अहम बात यह है कि यहां की गृह लक्ष्मी सहित बालिकाएं पूरी तन्मयता और तल्लीनता के साथ मूíतयों को मूर्त रूप देती हैं। जो आसपास के इलाकों सहित कई जनपदों में अपनी खास पहचान बनाए हुए है। मूíत बनाने वाली मीना देवी ने बताया कि मूíत के साथ साथ दीपावली त्यौहार के लिए दीपक व दियाली बनाने के लिए हम लोग चार माह पूर्व से ही तैयारी में लग गये हैं। जिसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात मिट्टी का चुनाव होता है। जिसे हम लोग पास के एक बड़े तालाब से लाते हैं। तत्पश्चात धूप में सूखने के पश्चात बारीक टुकड़ों में करने के लिए उसकी पिटाई कर बारीक मिट्टी को निकालने के पश्चात उसे पानी में कई घंटों तक भिगो दिया जाता है। इसके पश्चात सबसे मेहनत वाला काम आटे की तरह गूंथ कर मैदे की तरह चिकना कर सांचे में ढलाई कर गणेश-लक्ष्मी सहित विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं की मूíतयां बना ली जाती है। मूíत के सूखने के पश्चात आग मे पकाया जाता है। पक जाने के पश्चात कई घंटों तक हम सब मिलकर विभिन्न आकर्षक रंगों में देवी देवताओं को रंग कर पूजा के लिए तैयार करते हैं। इन सब प्रक्रिया के चलते मेहनत बहुत अधिक करनी पड़ती है।
इस संबंध में आशा प्रजापति तथा महक ने बताया कि रात दिन मेहनत करके अब तक हम लोगों ने 500 गणेश लक्ष्मी की मूíतयां तथा इसके अतिरिक्त हनुमान जी सरस्वती कुबेर आदि की मूíतयां भी तैयार कर ली हैं। इसके अलावा लगभग 5000 दियाली भी दीपोत्सव के लिए बना रखी है।