Move to Jagran APP

Kumbh mela 2019 : दादा-परदादा की संस्कृतियों की झलक से रूबरू हो सकेंगे भारतवंशी

भारतवंशियों के प्रयागराज आगमन की तैयारियां जोरों पर हैं। कुंभ मेला 2019 में वह भारतीय संस्‍कृति से रूबरू होंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 11:56 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 11:56 AM (IST)
Kumbh mela 2019 : दादा-परदादा की संस्कृतियों की झलक से रूबरू हो सकेंगे भारतवंशी
Kumbh mela 2019 : दादा-परदादा की संस्कृतियों की झलक से रूबरू हो सकेंगे भारतवंशी

ज्ञानेंद्र सिंह, कुंभनगर : संगम की रेती पर आस्था, धर्म और संस्कृति के विशाल मेले में आ रहे एक साथ तीन हजार भारतवंशियों के लिए यह कुंभ अलौकिक और सुखद अनुभूति वाला होगा। प्रवासी भारतीय न सिर्फ कुंभ का वैभव, पावन नदियों के विहंगम संगम को देखेंगे बल्कि अपने दादा-परदादा की कला, संस्कृति और सभ्यता की झलक भी देखेंगे।

loksabha election banner

प्राचीन भारतीय कला की छटा

कुंभ में अरैल में बसाए गए संस्कृति ग्राम और कला ग्राम में प्राचीन भारत की कला की अद्भुत छटा दिखाई दे रही है, जो वैश्विक जगत में भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़ रही है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, विदेश मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय व प्रदेश सरकार के कई उच्चाधिकारी यहां पहुंच गए हैं। आज शाम तक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह भी आ जाएंगे।

संगम तट पर होगा अलग नजारा

संस्कृति ग्राम में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक की मानव सभ्यता संस्कृति के विकास के क्रम को संजोया गया। देश की धाॢमक और पौराणिक सभ्यता को भारतवंशी संगम के तट पर देख सकेंगे। भारत के सभी राज्यों की सांस्कृतिक झलक और संस्कृति का दर्शन अप्रवासी भारतीय करेंगे। संगम तट पर समग्र भारत को दिखाने का यह प्रयास विश्व समुदाय को जोडऩे के लिए ही किया गया है। मानव सभ्यता के विकास के क्रम की यात्रा के पड़ाव को भी दर्शाया गया है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों ने संस्कृति ग्राम बसाया है।

संगम में लगाएंगे पुण्य की डुबकी

अप्रवासी भारतीय वाराणसी से यहां वाल्वो बसों से गुरुवार को सुबह अरैल स्थित टेंट सिटी पहुंचेंगे। वहां से क्रूज, मोटरबोट व स्टीमर से संगम ले जाया जाएगा, जहां स्नान के लिए खास बाथ पूल बनाया गया है। त्रिवेणी दर्शन-पूजन के बाद संगम नोज पर फोटोग्राफी कराई जाएगी। फिर वे किला स्थित मूल अक्षयवट, पातालपुरी, सरस्वती कूप और बड़े हनुमान मंदिर जाएंगे। प्राचीन किला की प्राचीर से सटी सड़क पर ही मेहमानों को लंच कराया जाएगा। उन्हें भारत के उत्तर से दक्षिण तक के राज्यों के व्यंजन परोसे जाएंगे। फिर भारतवंशी संस्कृति ग्राम व कला ग्राम जाएंगे। रात में वे विशेष ट्रेन से दिल्ली जाएंगे, जहां 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस के परेड में शिरकत करेंगे।

खास-खास

-08 एकड़ में बसाया गया है संस्कृति ग्राम, कला ग्राम

-10 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं ग्रामों को बसाने में

-05 लोकेशन पर जाएंगे तीन हजार अप्रवासी भारतीय

-10 घंटे के लगभग कुंभ क्षेत्र में रहेंगे अप्रवासी भारतीय


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.