Kumbh mela 2019 : कुंभमय हो गया फेसबुक और चहक उठा सोशल मीडिया
कुंभ मेला इन दिनों सोसल मीडिया पर भी छाया है। देश-विदेश से आने वाले स्नानार्थी व पर्यटक मेला क्षेत्र में सेल्फी लेकर फेसबुक आदि पर अपलोड कर मेमोरी संजो रहे हैं।
गुरुदीप त्रिपाठी, कुंभनगर : आस्था के सागर में हिलारों मारते प्रयागराज की भूमि पर आते ही न केवल श्रद्धालु बल्कि आपका फेसबुक भी कुंभमय हो गया है। फेसबुक पर लोकेशन ऑन करते ही अब तक अलग-अलग एजेंसियों की ओर से जारी कुंभ से जुड़ी तस्वीरें, वीडियो आपके स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं। लोग भी कुंभ के पावन क्षण को अपने मोबाइल में कैद कर फेसबुक पर शेयर करने में नहीं चूक रहे हैं। यही नहीं ये पोस्ट जमकर लाइक और शेयर भी किए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल अन्य सोशल साइट्स वाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर का भी है। यहां भी कुंभ के विहंगम नजारे को, आस्था के सैलाब को और आधुनिकता से सजी तंबुओं की नगरी को दूर-दराज बैठे अपने परिजन व स्वजनों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
फेसबुक ही पहली पसंद
फेसबुक हर आदमी की पहुंच में होने के कारण इस पर कुंभ से जुड़े तमाम अनछुए पहलुओं, नागा साधुओं और किन्नर अखाड़े की तस्वीरों के साथ संगम के सुरम्य नजारे को शेयर किया जा रहा है। इस पर तमाम तरह के कमेंटस भी आ रहे हैं, जिन पर रिप्लाई करते हुए अन्य फोटो भी आ रहे हैं। इसी के साथ लग रहे हैं हर-हर गंगे के जयकारे...।
अरे बाबा! रचि एहर देखा...
संगम में डुबकी लगाने के बाद हंडिया के 70 वर्षीय दशरथ लाल हर-हर गंगे का जप करते हुए बाहर निकले। वह कपड़े की ओर बढ़े ही थे, तभी उनके नाती रोहित और संतोष ने आवाज लगाई। अरे बाबा! रचि एहर देखा...। संगम संगे एक ठो फोटू तौ लइ लीन जाय। दशरथ ने पहले तो यह कहा तुहूं सभे एक ठो ढकोसला लइके चला अहा। निकरा जल्दी कपड़ा पहिरा फिर आगे चला जाय। इसके बाद उन्होंने दोनों नातियों संग एक सेल्फी ली और बोल पड़े जय हो गंगा मइया की, जय हो प्रयागराज की। फिर कपड़ा पहन चल पड़े मेले की तरफ। दशरथ, रोहित और संतोष की तरह न जाने कितने लोग आस्था के इस समंदर में डुबकी लगाने के बाद अपने मोबाइल में तस्वीरें सहेज रहे हैं। यही नहीं उसके बाद इन तस्वीरों को फेसबुक और वाट्सएप पर लोगों से साझा कर रहे हैं।
कब से शुरू हुआ सेल्फी का प्रचलन
सेल्फी शब्द अंग्रेजी के सेल्फ शब्द से बना है। सेल्फी का सीधा सा मतलब होता है स्वयं के द्वारा खींची गई खुद की तस्वीर। सेल्फी शब्द का पहली बार उपयोग आस्ट्रेलिया की एक वेबसाइट फोरम एबीसी ऑनलाइन ने 13 सितंबर 2002 को किया था। कहा तो यह भी जाता है कि सबसे पहली सेल्फी लेने वाले व्यक्ति अमेरिका के फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस थे। इन्होंने वर्ष 1839 में अपनी खुद की सेल्फी ली थी। रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने अपने कैमरे से अपनी फोटो खींचने की कोशिश की थी। यह भी कहा जाता है कि स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर ने वर्ष 1850 में दुनिया की पहली सेल्फी ली थी।