प्रयागराज में कुंभ के दौरान जूना में किन्नर अखाड़े का विलय
जूना में किन्नर अखाड़े का विलय हो गया। किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा लिखने, अपने आराध्य का पूजन करने एवं पदाधिकारी बनाने की छूट दी गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। संगमनगरी प्रयागराज का कुंभनगर धर्म के क्षेत्र में अहम बदलाव का साक्षी बना। धर्म व समाज में उपेक्षित किन्नर को सम्मान देते हुए जूना अखाड़े ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया है।
यमुना बैंक रोड पर जूना अखाड़े के मौज गिरि मंदिर में शनिवार की रात अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर हुए। जूना अखाड़े की ओर से मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष सोहन गिरि, जगदगुरु पंचानन गिरि, उपाध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि, प्रवक्ता विद्यानंद सरस्वती ने हस्ताक्षर किये। जबकि किन्नर अखाड़ा की ओर से आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, महंत भवानी, महंत पवित्रा सहित 20 संन्यासियों ने अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किया।
जूना में किन्नर अखाड़े का विलय हो गया। किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा लिखने, अपने आराध्य का पूजन करने एवं पदाधिकारी बनाने की छूट दी गई है। किन्नर अखाड़े के जूना में विलय होने की खबर दैनिक जागरण ने सात जनवरी के अंक में प्रकाशित किया था। इसके बाद विलय की प्रक्रिया तेज हो गई। निरंजनी व दूसरे अखाड़ों ने भी किन्नर संन्यासियों को खुद से जुडऩे का प्रस्ताव दिया था लेकिन, बात नहीं बनी। अब जूना अखाड़ा ने अग्नि व आवाहन की तरह किन्नर अखाड़े को अपने साथ जोड़ लिया है। शाही स्नान में आवाहन, अग्नि के बाद किन्नर अखाड़े के संन्यासी चलेंगे। लेकिन, किन्नर अखाड़े को अलग पेशवाई निकालने की अनुमति होगी। पेशवाई में जूना एवं अन्य अखाड़ों के महात्मा भी शामिल होंगे, जबकि जूना के कार्यक्रम में किन्नर संन्यासी पूरे सम्मान के साथ शामिल हो सकेंगे। आगामी कुंभ मेला में जूना के पास किन्नर अखाड़े का शिविर लगाया जाएगा। किन्नर संन्यासियों को जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि दीक्षित करेंगे।
पद छोड़ दूंगा पर इन्हें नहीं : हरि गिरि
किन्नरों को जूना अखाड़ा में शामिल करने के निर्णय को महंत हरि गिरि ने सही बताया। कहा, सनातन धर्म हित में उनका त्याग अनुकरणीय है। हम इन्हें उपेक्षित कर देंगे तो यह किन्नरों के साथ अन्याय होगा। कहा, वह किन्नर संन्यासियों को पूरा सम्मान दिलाएंगे। वह शाही स्नान करेंगे तो उसे भी कराएंगे। अखाड़ा परिषद से उनका विरोध होने के प्रश्न पर कहा कि उन्होंने आदिशंकराचार्य के दिखाए मार्ग पर चलते हुए धर्महित में काम किया है। जरूरत पड़ी तो सारे पद त्याग दूंगा, लेकिन किन्नरों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।
वहीं, लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि जूना अखाड़ा ने उन्हें अपने साथ जोडऩे के लिए बड़ा दिल दिखाया है। वह दूसरे किन्नरों को भी सनातन धर्म से जोडऩे की मुहिम चलाएंगी।
अखाड़ा परिषद को एतराज नहीं
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि किन्नर संन्यासियों के जूना अखाड़ा में शामिल होने पर अखाड़ा परिषद को कोई एतराज नहीं है लेकिन, उन्हें 14वें अखाड़े की मान्यता नहीं मिलेगी। अखाड़े सिर्फ 13 ही रहेंगे।