Kumbh mela 2019 : परंपराओं से और गहरे से जुड़ेगा किन्नर समाज, माघमेला 2020 में करेंगे कल्पवास
किन्नर अखाड़ा कुंभ मेला में महाशिवरात्रि तक रुकेगा। वहीं अगले वर्ष माघमेला में कल्पास भी करेगा। यह मन मनाया है अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर ने।
शरद द्विवेदी, कुंभनगर : धर्म क्षेत्र कुंभ में पहली बार भागीदारी के बाद मिली मान्यता और सम्मान से किन्नर समाज को बेहद उत्साहित है। उन्हें पहली बार लगा है कि सनातन धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में भी उनके अस्तित्व को स्वीकारा गया है। उनके श्रद्धा और आस्था के अलावा धर्मगुरुओं से मिले स्नेह ने उनका मन बड़ा किया है। इसी के दृष्टिगत किन्नर अखाड़ा के धर्मगुरुओं ने तीर्थनगरी प्रयाग में संकल्प लिया है कि वह अपनी थातियों, धर्म व परंपराओं से और गहराई तक जुड़ेंगे। युगों-युगों से उपेक्षा झेल रहे किन्नरों समाज व धर्म की मुख्यधारा की ओर मोडऩे की सार्थक पहल की जाएगी।
इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ शाही स्नान
वासंतिक बेला में संगम में हुआ कुंभ का अंतिम शाही स्नान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। प्रयाग की पावन धरा ने युगों से उपेक्षित किन्नर समाज का तिलक वंदन हुआ। यह पहला मौका है जब किन्नरों ने संन्यासियों के संग सम्मान से कुंभ के तीनों शाही किए। अखाड़ों के शाही वैभव के बीच किन्नर अखाड़ा ने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई। धर्म के क्षेत्र में किन्नर संन्यासियों को मिला अपार सम्मान व श्रद्धा से अभीभूत किन्नर अखाड़ा ने हर वर्ष प्रयाग में कल्पवास करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत 2020 के माघ मेला से होगी। किन्नर समाज की तरह किन्नर अखाड़ा भी अभी तक उपेक्षा का शिकार था।
अगले वर्ष माघमेला में शिविर लगाने की तैयारी
किन्नर अखाड़ा 2018 में प्रयाग माघ मेला में शिविर लगाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के विरोध के चलते प्रशासन से जमीन व सुविधा नहीं मिली। बात कुंभ मेला की आई तो यहां भी स्थिति अच्छी नहीं थी। अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने प्रशासन पर दबाव बनाकर जमीन व सुविधा ले लिया। हालांकि शाही स्नान करने का अधिकार किन्नर संन्यासियों को नहीं मिला था।
...और किन्नर संन्यासियों का बढ़ता गया रुतबा
मकर संक्रांति से पहले जूना अखाड़ा से जुडऩे के बाद किन्नर संन्यासियों का रुतबा बढ़ गया। जूना अखाड़ा के साथ किन्नर अखाड़ा के संन्यासियों ने तीनों शाही स्नान किए। वसंत पंचमी का शाही स्नान होने के बाद अखाड़ों का शिविर प्रयाग से उखडऩे लगेगा, लेकिन किन्नर अखाड़ा चार मार्च को महाशिवरात्रि तक मेला क्षेत्र में प्रवास करेगा।
धर्म की राह से भटके किन्नरों को सन्मार्ग पर ले जाएंगे : लक्ष्मीनारायण
अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी का कहना है कि धर्म की राह से भटके किन्नरों को सद्कर्म से जोड़कर सन्मार्ग में ले जाने के लिए किन्नर अखाड़ा का गठन हुआ है। प्रयाग कुंभ में संतों व श्रद्धालुओं से मिले सम्मान एवं अपनेपन ने हमारा हौसला बढ़ाया है। इसके चलते हम प्रयाग में हर वर्ष कल्पवास, भजन, कीर्तन व ध्यान करेंगे। हम अपने अच्छे कार्यों, संस्कारों व आचरण से समाज के दूसरे लोगों को साथ आने की प्रेरणा देंगे।
हरिद्वार कुंभ की शुरू हुई तैयारी
किन्नर अखाड़ा ने हरिद्वार में होने वाले 2021 कुंभ मेला की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तराखंड सरकार ने किन्नर अखाड़ा को कुंभ में आने का निमंत्रण दिया है। किन्नर अखाड़ा वहां शिविर लगाने, भजन, पूजन व ध्यान करने के लिए तैयारी कर रहा है। हरिद्वार कुंभ में किन्नर अखाड़ा दस हजार से अधिक किन्नर संन्यासियों को ले जाने की तैयारी कर रहा है।
प्रमुख संन्यासियों ने किया शाही स्नान
वसंत पंचमी के शाही स्नान में कई संन्यासियों ने संगम में डुबकी लगाई। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के अलावा, उत्तर भारत की प्रभारी महामंलेश्वर भवानी मां, अंतराष्ट्रीय महामंलेश्वर डॉ. राजराजेश्वरी शिवप्रिया, मंलेश्वर पायल, पुष्पा, मयूरी माई, कामिनी, कोमल, रक्षा, सतपुत्र आचार्य अनुराग शुक्ल, महामंडलेश्वर पीताम्बरा मां, संजना, जोया त्रिपाठी, प्रांजल, पूजा, वंशिका, मुस्कान, पवित्रा आदि संन्यासियों ने शाही स्नान किया।