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केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान बोले- गंगा नदी की पवित्रता बनाए रखना समाज की है जिम्मेदारी

केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने प्रयागराज में कहा कि यह जानकर आश्चर्य होगा कि मां गंगा भले ही दक्षिण भारत में नहीं है लेकिन वहां के लोगों की संस्कृति साहित्य शिक्षा और मनोभाव में मां गंगा की पावनता उतनी ही है जितनी प्रयागराज के संगम की पावनता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 03:06 PM (IST)
केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान बोले- गंगा नदी की पवित्रता बनाए रखना समाज की है जिम्मेदारी
केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने गंगा की अविरलता पर आयोजित संगोष्‍ठी में विचार रखे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान शनिवार को प्रयागराज में हैं। उन्‍हाेंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा की आज जो दशा है, उस पर चिंता होती है। गंगा को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने के लिए प्रयास तो काफी हुए, सरकारी कार्यक्रम बने, घोषणाएं हुईं, चिंता व्यक्त की गई और क्रियान्वयन भी हुआ। ये सभी चीजें लगभग सही दिशा में थी लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इन पूरी गतिविधियों से मां गंगा के प्रति आचरण कहीं गायब है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के यंग लायर्स एसोसिएशन ने शनिवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल, निर्मल धारा व संरक्षण के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें केरल के राज्यपाल मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति व गंगा की अविरलता पर हमें गर्व करना चाहिए। हालांकि जिस तरह से मां गंगा हम सभी को अपने बच्चे मानकर अपने आंचल में प्यार दुलार और मोक्ष देती है, हमें सोचना होगा कि क्या हम उस लायक हैं। क्योंकि जिस तरीके से गंगा आज दूषित है उसके पीछे सबसे बड़े कारण हम और आप ही हैं।

राज्‍यपाल बोले कि हमने गंगा को महज नदी समझा और इसके जल का अत्यधिक दोहन ही करते रहे। इसमें प्रदूषण ही समाहित करते रहे। हमने कभी क्या शिद्दत से यह सोचा कि यह गंगा मोक्षदायिनी है, देव स्वरूपा हमारी माता है। गंगा दरअसल देश के आठ राज्यों से होकर बहती है लेकिन दक्षिण भारत में गंगा नदी नहीं है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मां गंगा भले ही दक्षिण भारत में नहीं है लेकिन वहां के लोगों की संस्कृति, साहित्य, शिक्षा और मनोभाव में मां गंगा की पावनता उतनी ही है, जितनी प्रयागराज के संगम की पावनता है। हमें मानवीय दृष्टिकोण से सोच कर यह प्रयास करना होगा कि गंगा साफ रहे, प्रदूषित न हो और यह गंगाजल से समृद्धि रहे। इसके लिए गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में बसे देश के लगभग 40 करोड़ लोगों की महती जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने रोचक ढंग से और तथ्यपरक गंगा का चित्रण किया। उन्होंने बताया कि गंगा जब पहाड़ से उतर कर सबसे पहले हरिद्वार पहुंचीं तो वहां सबसे पहला बैराज बना दिया गया। यह सन 1974 की बात है। इस बैराज से 70 मिलियन लीटर प्रतिदिन गंगा का पानी लिया जाता है। इसे भीम गारा बैराज कहते हैं। इसके बाद चौधरी चरण सिंह मध्य गंगा बैराज बिजनौर, चौधरी चरण सिंह बैराज अलीगढ़, कानपुर में बैराज आदि बना दिए गए। इससे लगभग 80 फीसद पानी गंगा नदी से प्रयाग आते आते निकाल लिया जाता है। ऐसे में गंगा में जब वेग ही नहीं रहेगा तो गंगा स्वच्छ कैसे होगी।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा कि गंगा में 1970 के बाद से 1990 तक स्वच्छता के नाम पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च हो गए लेकिन गंगा आज भी वैसी की वैसी है। 2021 चल रहा है इस बीच गंगा के नाम पर स्वीकृत हुए इतने धन का दोहन जिन्होंने किया, आश्चर्य है कि न उनमें कोई जेल भेजा गया न कोई बर्खास्त किया गया न किसी की जिम्मेदारी तय की गई और न ही किसी से धन की वसूली हुई।

कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चंद्र राजवंशी और यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी, महासचिव जेबी सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर संतोष जैन ने किया।


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