जीने का जज्बा बुलंद रख कोरोना को हराया, प्रयागराज के एसआरएन से डिस्चार्ज हुए मरीजों का मनोबल गजब का
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल से डिस्चार्ज लोगों के बारे में डाक्टर भी कहते हैं कि इन्होंने कोरोना से जिस तेजी से निजात पाई वह अचरज भरा है। लेवेल थ्री कोविड अस्पताल एसआरएन के अधीक्षक डा. मोहित जैन ने कहा मरीज बेड पर खुद ही प्राणायाम करते देखे जा रहे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना संक्रमण हो गया है तो घबराना नहीं है बल्कि मनोबल ऊंचा रखना है। इसी मनोबल से कोरोना हारेगा। अस्पताल में भर्ती रहते हुए जब परिवार साथ नहीं है तो डाक्टर व अन्य चिकित्सा स्टाफ के कहे अनुसार अपनी दिनचर्या बनाना है। यही किया उन तमाम लोगों ने जो कोरोना को मात देकर अब सुकून की सांस ले रहे हैं।
बेड पर भी प्राणायाम और योग से लाते हैं शक्ति
स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल से डिस्चार्ज लोगों के बारे में डाक्टर भी कहते हैं कि इन्होंने कोरोना से जिस तेजी से निजात पाई वह अचरज भरा है। लेवेल थ्री कोविड अस्पताल एसआरएन के अधीक्षक डा. मोहित जैन ने कहा मरीज बेड पर खुद ही प्राणायाम करते देखे जा रहे हैं। पेट के बल लेटते हैं, इससे आक्सीजन लेवल ठीक रहता है। जो घबराएगा नहीं वह जल्दी ठीक हो जाएगा। काल्विन के मनोचिकित्सक डा. राकेश पासवान ने कहा कि जो रोगी ठीक हुए हैं उनमें देखा गया है कि छोटी-छोटी सलाह भी गंभीरता से लेते हैं। अपने आप को ठीक करने में उनका जज्बा बुलंद रहा। तीमारदार नहीं हैं तो भी मरीज अपनी छाती की फिजियोथेरेपी खुद ही करते देखे जा रहे हैं।
सुनिए क्या कहते हैं ये कोरोना विजेता
दवा और भोजन समय पर लिया। बेड पर प्राणायाम करते थे, फिजियोथेरेपी के बारे में डाक्टर जैसा बता रहे थे वैसा ही मैने किया। मन में घबराहट बिलकुल नहीं थी।
विनोद पांडेय, कौशांबी
एसआरएन में भर्ती थे। उन दिनों तबीयत काफी खराब थी। डाक्टर और सिस्टर के बताए अनुसार चले, अब काल्विन में भर्ती हूं, पहले से काफी आराम है।
उमेश कुमार, मऊ चित्रकूट
जब कोरोना पॉजिटिव होकर एसआरएन में भर्ती हुए थे तब आक्सीजन लेवल 75 था। डाक्टर ने कहा था घबराना नहीं, सब ठीक हो जाएगा। डाक्टरों पर भरोसा रहा।
सुनीता देवी, कोड़हार मेजा
समय पर दवा खाती रही, प्राणायाम करते थे। जब एसआरएन में भर्ती कराए गए थे तो आक्सीजन लेवेल 70 था। घबराहट को हावी नहीं होने दिया। अब ठीक हैं।
लक्ष्मीपति, एडीए कालोनी नैनी
खुद पर हावी नहीं होने दिया कोरोना का डर
कोरोना संक्रमण के खौफ को मरीजों को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। पूर्व पार्षद आभा द्विवेदी ने कुछ ऐसा ही करके कोरोना को मात दीं। वह छह अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुईं तो होम आइसोलेशन में चली गईं। तीमारदारी में लगी बेटी ऐश्ना प्रभाकर भी आठ को संक्रमित हो गई। पूर्व पार्षद बताती हैं कि उस समय कोरोना पीक पर था। गीत-संगीत भी सुनते रहे। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवाएं, काढ़ा, गर्म पानी, भाप आदि लेते रहे। अंत में कोरोना हार गया।