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कौशांबी पुलिस तमंचेबाजों के चक्कर में मास्टरमाइंड से कर रही परहेज, गुडवर्क तक ही है सीमित

कौशांबी अपराध का ग्राफ बढ़ा है। कोई तमंचा बेच रहा है तो कोई गांजा। पुलिस अपराधियों की धर-पकड़ के लिए आला अफसरों के निर्देश पर पूरा प्रयास करती है पर संजीदा नहीं नजर आ रही।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 05:44 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 05:44 PM (IST)
कौशांबी पुलिस तमंचेबाजों के चक्कर में मास्टरमाइंड से कर रही परहेज, गुडवर्क तक ही है सीमित
कौशांबी पुलिस तमंचेबाजों के चक्कर में मास्टरमाइंड से कर रही परहेज, गुडवर्क तक ही है सीमित

प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी जनपद में कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने के उद्देश्य से पुलिस तमंचेबाजों काे गिरफ्तार कर गुडवर्क कर रही है। हालांकि अवैध असलहा कहां से आया और उन्हें कारतूस कौन सप्लाई करता है, इसका पता लगा पाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। सप्लायर का पता न लगाने से अवैध असलहों का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

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कौशांबी जनपद में अपराधों का ग्राफ बढ़ा

अशिक्षा व गरीबी के चलते कौशांबी जनपद में अपराधों का ग्राफ बढ़ा हुआ है। कोई तमंचा बेच रहा है तो कोई गांजा। पुलिस ऐसे अपराधियों की धर-पकड़ के लिए आला अफसरों के निर्देश पर पूरा प्रयास करती है लेकिन दिलचस्प कितनी रहती है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अपराध की जड़ को खत्म करना पुलिस के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है।

यह सवाल अपराध को बढ़ावा देने के लिए काफी है

पुलिस के आंकड़ों पर ही गौर किया जाए तो जनवरी से अब तक एक सैकड़ा से अधिक तमंचा के अलावा कारतूस पुलिस ने बरामद किया। इतना ही नहीं, वर्ष 2019 में जिले की पुलिस ने डेढ़ सौ से अधिक तमंचा बरामद किए। पकड़े गए आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजा गया लेकिन कभी इन अभियुक्तों से पुलिस ने यह पूछने की हिमाकत नहीं किया कि आखिर उनके पास से तमंचा व कारतूस आया कहां से। यह बड़ा सवाल कहीं न कहीं से अपराध को बढ़ावा देने के लिए काफी है।

प्रकरण की जांच कराई जाए तो बड़ा मामला उजागर हो सकता है

लोगों का यह भी मानना है कि पुलिस कागजी कोरम पूरा करने और अपना गुडवर्क करने के लिए सिर्फ बरामदगी तक ही सीमित रहती है। लोगों का यह भी कहना है कि कारतूस भी किसी न किसी लाइसेंसधारी से ही उपलब्ध होता है। क्योंकि बिना लाइसेंस के किसी को कारतूस मिलना मुमकिन नहीं है। बहरहाल यदि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए तो बड़ा मामला उजागर हो सकता है।

बोले, अपर पुलिस अधीक्षक

अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर कहते हैं कि तमंचा व कारतूस के साथ पकड़े गए आरोपितों से सप्लायर के बारे में भी पूछताछ किया जाता है लेकिन ज्यादातर अभियुक्त साफ तौर पर बता नहीं पाते। यदि किसी आरोपित ने सप्लायर के बारे में बताया भी तो उसे बिना किसी सबूत के गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता। यदि सप्लायर के पास से अन्य तमंचे व उपकरण बरामद हो तो कार्रवाई मुमकिन है।


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