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मिली करतूत की सजा, दुष्कर्म के दो अभियुक्तों को 10 वर्ष कारावास, कौशांबी की है घटना

imprisonment for misdeed कौशांबी में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अरविंद कुमार की अदालत ने किशोरी को अगवा कर दुष्कर्म करने के मामले में दो आरोपितों को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी दोनों पर लगाया है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 30 Sep 2022 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 09:35 AM (IST)
मिली करतूत की सजा, दुष्कर्म के दो अभियुक्तों को 10 वर्ष कारावास, कौशांबी की है घटना
किशोरी को अगवा कर दुष्कर्म करने के मामले में दो आरोपितों को 10 वर्ष कारावास की सजा

प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अरविंद कुमार की अदालत ने किशोरी को अगवा कर दुष्कर्म करने के मामले में दो आरोपितों को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी दोनों पर लगाया है।

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2014 में दो बार किया गया था लड़की का अपहरण

शासकीय अधिवक्ता रमेश चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक कड़ा धाम क्षेत्र की एक किशोरी का गांव के ही इरशाद ने 29 अप्रैल 2014 को अपहरण कर लिया। मामले की शिकायत पर पुलिस ने 29 अप्रैल को किशोरी को बरामद कर लिया लेकिन मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया। उच्चाधिकारियों से किशोरी के पिता ने शिकायत किया। इस पर चार मई 2014 को उसे मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल भेजा गया।

रेलवे स्टेशन पर मिली तो कमरे में ले जाकर किया मनमानी

उसी दिन किशोरी को गांव के ही मकसूद व पप्पू ने अगवा कर लिया। जानकारी होने पर पिता ने मंझनपुर पुलिस से शिकायत कर रिपोर्ट दर्ज कराई। दोनों आरोपितों ने किशोरी को कानपुर के रेलवे स्टेशन पर ले जाकर छोड़ दिया। स्टेशन पर किशोरी को देवरिया जनपद के बबुनी कशिया रोड लच्छी राम निवासी राज यादव व कानपुर देहात रतापुर सिकंदरा निवासी सौरभ दीक्षित मिले।

बहला-फुसलाकर दोनों किशोरी को अपने साथ ले गए और एक कमरे में बंद कर उसके साथ दुष्कर्म किया। कुछ दिनों बाद पुलिस ने उसे फिर से बरामद कर लिया और दोनों आरोपितों की धर-पकड़ कर जेल भेजवाया।

किशोरी का मेडिकल परीक्षण कराते हुए पुलिस ने अदालत में कलमबंद बयान कराया। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। मामले का विचारण विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट की अदालत में किया गया। अभियोजन की ओर से आधा दर्जन गवाह पेश किए गए। उभय पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद राज यादव व सौरभ दीक्षित को दोष सिद्ध पाया गया। दोनों आरोपितों को अदालत ने सजा सुनाई। जबकि शेष तीन आरोपितों पर अपराध सिद्ध न हो पाने की स्थिति में कोर्ट ने बरी कर दिया।


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