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Kargil Vijay Diwas : दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा कर तिरंगा फहराया तो महीनों की थकान मिट गई Prayagraj News

Kargil Vijay Diwas झूंसी के जियाई का पूरा गांव निवासी धनेश कुमार जंग के मैदान का हाल बताते हैं। दुर्गम इलाके में पाकिस्तानी पोस्ट 5810 जीतने तक 19 सैनिक शहीद हुए थे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 12:43 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas : दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा कर तिरंगा फहराया तो महीनों की थकान मिट गई Prayagraj News
Kargil Vijay Diwas : दुश्मन की पोस्ट पर कब्जा कर तिरंगा फहराया तो महीनों की थकान मिट गई Prayagraj News

प्रयागराज, प्रमोद यादव। 26 जुलाई 1999 को पूरा देश जब कारगिल विजय के बाद गर्व की अनुभूति कर रहा था, तब भी वहां गोलियां चल रही थीं। आपरेशन विजय जारी था। ऊंची पहाडिय़ों पर पाकिस्तानियों से हमारी लड़ाई थी। दुश्मनों को बार्डर से खदेडऩे के बाद ही हम वापस लौटे। ऐसे मौके हर जवान के हिस्से में कम ही आते है कि दुश्मन की पोस्ट पर उसे तिरंगा फहराने का मौका मिले। मुझे भी यह मौका मिला है। पोस्ट पर कब्जा करने के बाद तिरंगा झंडा फहराया तो महीनों की थकान मिट गई। 

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सुनहरे अतीत को साझा किया कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार ने

जंग के मैदान में बिताए गए यह पल 21 साल बाद भी याद हैैं 13 कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार धनेश कुमार यादव को। वह फिलहाल सेना की सेवा में ही हैं और दिल्ली में उनकी तैनाती है। दैनिक जागरण से दूरभाष पर बातचीत में उन्होंने सुनहरे अतीत को साझा किया।

प्रयागराज में झूंसी के रहने वाले हैं धनेश कुमार

प्रयागराज के झूंसी थाना अंतर्गत जियाई का पूरा गांव निवासी धनेश कुमार यादव ने बताया कि जब कारगिल की लड़ाई शुरू हुई तब उनकी तैनाती सियाचिन ग्लेशियर में थी। वह 25 मई को कारगिल के तुरतुक हनीफ सेक्टर पहुंचे। तब सिपाही थे। तुरतुक पहुंचने पर उन्हें और उनके साथियों को पाकिस्तान की पोस्ट 5810 फतह करने का हुकुम मिला।

इस तरह पोस्‍ट पर जांबाजों ने किया कब्‍जा

इस पोस्ट पर कब्जा कैसे हुआ? इस सवाल पर धनेश कहते हैैं कि वह दुर्गम पहाड़ी थी। बारूदी सुरंगों का ज्यादा खतरा था, इसलिए हमारी यूनिट धीरे धीरे बढ़ रही थी। यूनिट में मेरे जैसे कुछ लोग नए थे तो कुछ अनुभवी और दूसरी पोस्ट को जीत चुके थे। रिंग कंटूर पोस्ट जीतने वाली टीम के सदस्य, आनंद नगर पतुलकी के नायक लालमणि यादव भी हमारे साथ थे। हम लोग एक रात बार्डर की तरफ बढ़ रहे थे तभी पाकिस्तानी की तरफ से फायर आया और नायक लालमणि को गोली लगी। वह मातृभूमि का ऋण चुकाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

नौ जवान वीरगीत को प्राप्त हुए थे

कुल नौ जवान वीरगीत को प्राप्त हुए थे। काफी कैजुअल्टी हुई थी। इसलिए मिशन पूरा करने में समय लगा। पोस्ट नंबर 5810 दुर्गम इलाके में थी। हमें इस बात का ध्यान रखना था कि कैसे कम से कम कैजुअल्टी हो और पाकिस्तानी खदेड़े जाएं। बकौल धनेश पूरी सूझबूझ से लड़ी गई लड़ाई के बावजूद इस पोस्ट पर कब्जा करने तक हमारे 19 साथी वीरगति को प्राप्त हो चुके थे। हम सितंबर में ही इस पोस्ट पर कब्जा कर पाए।


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