कल्पवासियों को मिलेगी गंगा रक्षा की दीक्षा, करेंगे संकल्प
आने वाली 10 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर स्नान कर कल्पवासी अपने-अपने घरों को लौट जाएंगे। उनके साथ संतों से मिली यह दीक्षा भी होगी कि वह गंगा की रक्षा के लिए कृत संकल्पित रहेंगे।
इलाहाबाद (जेएनएन)। संगम तीरे कल्पवास चंद दिनों बाद पूरा हो जाएगा। आने वाली 10 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर स्नान कर कल्पवासी अपने-अपने घरों को लौट जाएंगे। जाते समय उनके साथ संतों से मिली यह दीक्षा भी होगी कि वह गंगा की रक्षा के लिए कृत संकल्पित रहेंगे। संतों के शिविरों में निर्मलता का संकल्प दिलाया जाएगा। यह संकल्प कल्पवासियों को एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनभर संतों के शिविर में मिलेगा।
दंडी स्वामीनगर में जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम के नेतृत्व में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बीते दिनों गंगा तट पर गंगा रक्षा का संकल्प लिया था। माघी पूर्णिमा के अवसर पर यह व्यापक स्तर पर होगा। जगद्गुरु बिनैका बाबा, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, स्वामी रामतीर्थ दास, स्वामी ब्रह्माश्रम, परमहंस प्रभाकर जी महाराज, महामंडलेश्वर संतोष दास, स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ, गंगा सेना संरक्षक योगगुरु स्वामी आनंद गिरि के शिविर में गंगा रक्षा का संकल्प दिलाया जाएगा। संतों का मानना है कि गंगा सनातन धर्म का आधार है इसलिए उनकी रक्षा करना जरूरी है।
महामंत्री दंडी संन्यासी समिति स्वामी ब्रह्माश्रम के मुताबिक गंगा का प्रदूषित होना सनातन धर्म व ङ्क्षहदुओं के लिए चिंताजनक है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करके ही संपूर्ण मानव जीवन की रक्षा हो सकती है।
परमहंस प्रभाकर जी महाराज के मुताबिक गंगा के बिन धरती पर जीवन असंभव है। हर मानव को गंगा की चिंता करनी चाहिए। यह कार्य कल्पवासियों के माध्यम से आसानी से हो सकता है।
योगी हर्ष के मुताबिक कल्पवासियों का जीवन संत के समान होता है। वह गंगा की रक्षा के लिए काम करेंगे तो समाज पर उसका सार्थक परिणाम नजर आएगा।
कुछ ऐसी रहेगी दीक्षा
-भजन-पूजन के साथ गंगाघाटों पर प्रतिदिन दो-तीन घंटे करेंगे श्रमदान।
-घाटों पर गंदगी न फैलाएंगे न फैलाने देंगे।
-जिन क्षेत्रों में गंगा नहीं है वहां जो नदी या तालाब है उन्हें संरक्षित करेंगे।
-शादी, जन्म होने पर, किसी के जन्मदिन की स्मृति संजोने के लिए पौधरोपण करेंगे।