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गांवों की चौपाल तक पहुंचेगी 'कला चौपाल', एनसीजेडसीसी ने की पहल

लोककला को बढ़ावा देने के लिए सात राज्यों में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का अभियान चलेगा। एनसीजेडसीसी की टीम माह में एक बार गांव में जाकर कलाकारों से संपर्क करेगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 04:20 PM (IST)
गांवों की चौपाल तक पहुंचेगी 'कला चौपाल', एनसीजेडसीसी ने की पहल
गांवों की चौपाल तक पहुंचेगी 'कला चौपाल', एनसीजेडसीसी ने की पहल

प्रयागराज : कहते हैं भारतीय संस्कृति का आधार लोककला है। हर गांव, कस्बे की अपनी कला व संस्कृति है, जिसमें भारत की विविधता के रंग समाहित हैं। गांव-गिरांव से निकले सामान्य कलाकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाते रहे हैं। पंडवानी गायिका पद्मश्री तीजन बाई, बिरहा गायक रामकैलाश यादव, हैदर अली, कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव, महावीर गुड्डू सरीखे अनेकों कलाकार हैं जिन्हें अपने क्षेत्र की कला को दुनियाभर में पहुंचाने का श्रेय है। हालांकि 21वीं सदी में लोककला व उसके कलाकार उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। इसे देखते हुए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने गांव-गांव कला चौपाल लगाने का निर्णय लिया है। इन चौपालों में कला पर चर्चा करते हुए उसके संरक्षण व प्रचार-प्रसार का खाका तैयार होगा। 

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मौजूदा पीढ़ी की दुनिया मोबाइल तक सीमित, लोक कलाओं से अनभिज्ञ है

सांस्कृतिक केंद्र के अंतर्गत उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश व उत्तराखंड जैसे राज्य आते हैं। जहां बिरहा, चैती-चैता, बारहमासा गीत, कजरी प्रसिद्ध है। वहीं ढेढिया, छाऊ,  फरवाही नृत्य, धोबिया नृत्य, डोमकच, चौलर नृत्य, कर्मा नृत्य, ढेढिया नृत्य, कालबेलिया, बैदाकर्मा नृत्य, गुदुंबबाजा नृत्य, रीनासैला नृत्य, झिंझिया नृत्य, नवरता, छोलिया नृत्य, पांडवजागर नृत्य, नट नटिन नृत्य, जट-जटिन नृत्य आकर्षण का केंद्र रहे हैं। हालांकि मौजूदा पीढ़ी इन कलाओं से अनभिज्ञ है, उनकी दुनिया मोबाइल तक सीमित है। इसके चलते लोककलाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। 

एनसीजेडसीसी की टीम गांवों का करेगी दौरा

सांस्कृतिक केंद्र की टीम अपने अंतर्गत आने वाले समस्त प्रदेशों के उन गांवों का दौरा करेगी जिसका गायन, नृत्य विख्यात है, जहां से कुछ कलाकार पहले निकले हैं। ऐसे लोगों के बीच में केंद्र के सदस्य अपनी बात रखेंगे। कला को संरक्षित करने के लिए सुझाव मांगा जाएगा। इसके बाद उसी के अनुरूप आगे काम किया जाएगा। 

कलाकारों को मिलेगा मंच

गांवों में अगर किसी युवा को नृत्य व गायन का शौक है तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सांस्कृतिक केंद्र मंच मुहैया कराएगा। केंद्र उन्हें माह में कम से कम दो-तीन कार्यक्रम दिलाएगा। इसके बदले उन्हें आर्थिक भुगतान भी किया जाएगा। इसके अलावा युवाओं को प्रेरित करने के लिए सांस्कृतिक केंद्र बुजुर्ग कलाकारों को सम्मानित करेगा। 

एनसीजेडसीसी के निदेशक बोले

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर का कहना है कि जीवन में जब से टीवी व मोबाइल का दखल बढ़ा है, तब से लोक कलाएं खतरे में हैं। कला चौपाल के जरिए लोक कलाओं को संरक्षित करने के साथ कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाएगा। 


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