मुंबई मैराथन जीतना है विजेता ज्योति शंकर राव गवते का सपना
इंदिरा मैराथन की महिला विजेता ज्योति का अब सपना मुंबई मैराथन जीतने का है। इसकी तैयारी भ्ाी वह कर रही हैं।
प्रयागराज : 34वीं अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन के महिला वर्ग की प्रथम विजेता रहीं ज्योति शंकर राव गवते का सपना मुंबई मैराथन में जीत हासिल करने का है। बातचीत के दौरान ज्योति ने यह इच्छा जाहिर की।
महाराष्ट्र की रहने वालीं 31 वर्षीय ज्योति ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं लगातार छठवीं बार विजेता बनी हूं। अब मेरा पूरा जोर जनवरी में मुंबई में आयोजित मैराथन के लिए होगा। कहती हैं कि प्रतिदिन एक से डेढ़ घंटे प्रैक्टिस करती हूं। उन्होंने कहा कि परिवार का पूरा सपोर्ट मिलने के कारण ही मैं लगातार अपनी परीक्षा में पास होती रही हूं। कोच रवि सर का भी इसमें सहयोग है। तीन भाई बहनों में ज्योति दूसरे नंबर पर हैं।
विजेता बनना कठिन था :
पुरुष वर्ग के प्रथम विजेता रहे बीएस सिंह धोनी उत्तराखंड के चंपावत के निवासी हैं। यह पुणे में सूबेदार पद पर तैनात हैं। प्रतिदिन दो घंटे से अधिक का समय दौड़ व प्रैक्टिस में लगाने वाले बीएस धोनी पिछले साल मुंबई व दिल्ली मैराथन में दूसरे नंबर पर रहे। इन्होंने कहा कि आज मेरे लिए विजेता बनना बहुत ही कठिन रहा, क्योंकि मेरा प्रतिद्वंदी भी मेरे करीब ही था। वाकई में यह ऐतिहासिक दिन है। इस शहर में पहली बार आया हूं और हमेशा के लिए यह यादें साथ लेकर जा रहा हूं।
श्यामली के पति ने निभाई कोच की भूमिका :
महिला वर्ग में दूसरे नंबर पर रहींं श्यामली सिंह पश्चिम बंगाल के मेंदीपुर की रहने वाली हैं। इनका कहना है कि आज यह जीत मेरे पति की बदौलत हुई। वह पति होने के साथ-साथ मेरे कोच भी हैं। हमारी सभी सफलताओं में मेरे पति का हाथ होता है, क्योंकि हमें उनका पूरा सहयोग मिलता है। श्यामली के पति संतोष भी खिलाड़ी गाड़ी चलवाते हैं।
रानी को ससुराल व मायके का मिलता है सपोर्ट :
महिला वर्ग की तृतीय विजेता रानी यादव वाराणसी की रहने वाली हैं लेकिन इनकी शादी जौनपुर के घनश्यामपुर बाजार में हुई है। डीएलडब्ल्यू में क्लर्क की नौकरी करने वालीं रानी कहती हैं कि मुझे ससुराल व मायका दोनों पक्ष के सदस्यों का पूरा सहयोग मिलता है। आज मैं बहुत खुश हूं। कहती हैं कि मैं तो शौकिया यहां आई हूं वैसे तो मैं एथलेटिक्स की खिलाड़ी हूं। इनके पति राजकेशरी एयरफोर्स में हैं। कोच दिनेश जायसवाल की भूमिका भी अहम है।
रशपाल बोले, लगा रहता है जीत और हार :
पुरुष वर्ग के दूसरे नंबर के विजेता रशपाल सिंह पिछले वर्ष के चैंपियन रहे हैं। अमृतसर के मजीठा के रहने वाले सेना के जवान रशपाल इतने कम अंतर से हारने पर निराश हैं। यह 2013 में भी इंदिरा मैराथन के चैंपियन रह चुके हैं। यह कहते हैं कि आगे मैं मुंबई में आयोजित मैराथन में हिस्सा लूंगा।
प्रत्येक सप्ताह 180 किमी दौडऩे का प्रयास :
मैराथन के तीसरे विजेता हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी कर्ण सिंह रहे। उन्होंने बताया कि इस मैराथन को लेकर वह काफी दिनों से तैयारी कर रहे थे। प्रत्येक सप्ताह 180 किलोमीटर दौडऩे का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। कोच जय भाई का पूरा सपोर्ट होता है तभी यहां तक पहुंचा हूं। 2014 में प्रथम विजेता रहे कर्ण सिंह के पिता किसान हैं।