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गजब : कोरोना से जान गंवाने वाले चिकित्सक के बेटे को कार्यकर्ता की नौकरी का प्रस्ताव

शहर में गोविंदपुर निवासी डॉ. गणेश प्रसाद जून में कोविड ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित हो गए थे। इलाज होने पर उनकी रिपोर्ट निगेटिव भी आई लेकिन वह बच नहीं सके। 25 जुलाई को उनका निधन हो गया। उनकी तीन संतान हैैं। दो पुत्र दो पुत्री।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 06:00 AM (IST)
गजब : कोरोना से जान गंवाने वाले चिकित्सक के बेटे को कार्यकर्ता की नौकरी का प्रस्ताव
स्वास्थ्य विभाग के पास उनके लिए सिर्फ तृतीय श्रेणी की नौकरी मृतक आश्रित के रूप में हैैं।

प्रयागराज, मनीष मिश्र। इसे विडंबना ही कहेंगे। सरकारी सेवा में रहते हुए कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले चिकित्सक पिता के इंजीनियर और डाक्टर बेटों के ख्वाब यहां नियम कायदों की बंदिशों में तार-तार हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पास उनके लिए सिर्फ तृतीय श्रेणी की नौकरी मृतक आश्रित के रूप में हैैं। योग्यता के अनुरूप नौकरी की मांग पर कहा जा रहा है कि हमारे पास यही है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। 

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25 जुलाई को निधन

शहर में गोविंदपुर निवासी डॉ. गणेश प्रसाद जून में कोविड ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित हो गए थे। इलाज होने पर उनकी रिपोर्ट निगेटिव भी आई, लेकिन वह बच नहीं सके। 25 जुलाई को उनका निधन हो गया। उनकी तीन संतान हैैं। दो पुत्र, दो पुत्री। बड़ा बेटा स्नेहिल कुमार व बेटी खुशबू एमबीबीएस उपाधिधारक है। छोटे बेटे स्वप्निल के पास बीटेक की डिग्री है। एक संतान को मृतक आश्रित के रूप में स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिलनी है। विभाग की तरफ से बताया गया है कि स्वप्निल को तृतीय श्रेणी वाली स्वास्थ्य कार्यकर्ता की नौकरी मिल सकती है और बड़े बेटे स्नेहिल कुमार को मलेरिया निरीक्षक की जॉब।

प्रस्ताव पर कर रहे हैैं विचार

स्नेहिल और स्वप्निल कहते हैं कि योग्यता के अनुरूप नौकरी मिलने पर ही हम स्वीकार करेंगे। हमारे पिता का सपना था कि हम भाई बहन डॉक्टर व इंजीनियर ही बनें। इसलिए उन्होंने हमें एमबीबीएस व इंजीनिरिंग की शिक्षा दिलवाई। विभाग के प्रस्ताव पर हम विचार कर रहे हैैं। यदि शासन स्तर पर पहल हो तो हमारे लिए कुछ बेहतर हो सकता है।   

सीेएमओ का है कहना

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. जीएस वाजपेयी का कहना है कि मृतक आश्रित कोटे में समूह ग तथा घ के तहत ही नियुक्ति का प्रावधान है। डॉ. गणेश के बेटे एमबीबीएस व बीटेक कर चुके हैं। हम किसी एक संतान को नौकरी दे सकते हैैं, हमसे जो भी हो सकेगा, जरूर करेंगे।


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