Jagdish Chandra Basu Birth Anniversary: महान वैज्ञानिक में बचपन से ही थी सीखने की ललक, जानें रोचक जानकारी
Jagdish Chandra Basu Birth Anniversary ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में के सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों ने जगदीश चंद्र बसु को नमन किया। प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह ने भी बच्चों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए सभी को प्रेरित किया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बंगाल के मैमन सिंह जिले केे फरीदपुर गांव में 30 नवंबर 1858 को जन्मे जगदीश चंद्र बसु बचपन से ही मेढक, मछलियों व सापों में रुचि लेते थे। पेड़, पौधों को करीब से देखने। उनके साथ निरंतर प्रयाेग भी करते रहते थे। कई बार पौधों को उखाड़कर उनकी जड़ों को बारीकी से देखते और अलग अलग पौधों की जड़ों, तनों और पत्तियों का मिलान भी करते। यह प्रवृत्ति उन्हें आगे चलकर विज्ञान से जोड़ने में सहायक बनी। उन्होंने साबित किया कि पौधे भी सजीव हैं। इस लिए प्रत्येक अभिभावक को चाहिए कि वह बालक की प्रयोग धर्मिता को बढ़ावा दें। यह विचार ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज सिविल लाइंस में आचार्य दिनेश तिवारी ने व्यक्त किए।
ज्वाला देवी कालेज में किया गया नमन
ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में के सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों ने जगदीश चंद्र बसु को नमन किया। प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह ने भी बच्चों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए सभी को प्रेरित किया। कार्यक्रम में विज्ञान विभाग के प्रमुख दीपक दुबे ने भी विचार रखे।
जगदीश चंद्र बसु को पसंद थी घुड़सवारी
आचार्य दिनेश तिवारी ने बताया कि जगदीश चंद्र बसु के पिता भगवान चंद्र बसु फरीदपुर के डिप्टी मजिस्ट्रेट थे। उन्होंने जगदीश का दाखिला किसी अंग्रेजी स्कूल में न कराकर गांव के ही स्कूल में करवाया। आरंभिक दिनों में उन्हें घोड़े पर सवारी करना, रोमांचकारी व साहसपूर्ण कहानियां सुनना बहुत पसंद था। नौ वर्ष की उम्र में वे घर छोड़कर आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता चले गए। वहां जाकर पेड़-पौधों की दुनिया में उन्होंने खुद को रमा लिया। वह हर समय कुछ न कुछ जानने को उत्सुक रहने लगे। शुरू से जानना चाहते थे कि क्या पेड़-पौधे भी हमारी तरह जीवित या मृत होते हैं। इसके लिए तमाम प्रयोग भी करते थे। आगे चलकर इसी विषय पर उन्होंने पूरा अध्ययन किया।
क्रेस्कोग्राफ जैसा संवेदनशील यंत्र बनाया
आचार्य दिनेश ने बताया कि जगदीश चंद्र बसु ने पौधों में प्राण और संवेदनशीलता का पता लगाया। उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक अति संवेदनशील यंत्र बनाया। इसकी मदद से ही पौधों की वृद्धि और उनके किसी भाग को काटने या चोट पहुंचाए जाने पर पौधों में होने वाली सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं का पता लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जगदीश चंद्र बसु का कहना था कि हमें अपने कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। स्वयं अपना कार्य करना चाहिए। खास बात यह कि सब करने से पूर्व अपना अहंकार और घमंड त्याग देना चाहिए।