आइएसआइएस धमकी प्रकरण : तीन माह में तीन जांच टीम पर नतीजा शून्य
आइएसआइएस की ओर से छात्र को धमकी देने के प्रकरण में अभी तक नतीजा शून्य ही रहा है। तीन माह में तीन टीम बनी फिर भी आतंकी संगठन के धमकी देने वाले का कुछ पता नहीं चल सका है।
ताराचंद्र गुप्त, इलाहाबाद : तीन माह, तीन टीम और नतीजा सिफर। जी हां, यह हकीकत है आतंकी संगठन आइएसआइएस की ओर से दी गई धमकी की जांच का। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और पुलिस का यह हाल तब है, जब संगम नगरी में विश्वविख्यात कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और आतंकियों से निपटने का दावा किया जा रहा है। लेकिन 90 दिन बाद भी छात्र को मिली धमकी का सच पता नहीं चलने से पुलिस के साथ ही एटीएस और सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, धूमनगंज थाना क्षेत्र के मुंडेरा कैलाशपुरी कॉलोनी में रहने वाले छात्र अनिल प्रजापति को आइएसआइएस इंडिया नामक वाट्सएप ग्रुप पर जोड़ा गया। इसके बाद उसे भारतीय खुफिया एजेंसी की जानकारी देने पर प्रतिमाह पांच हजार डॉलर देने की बात कही गई। छात्र ने जब संदेश का जवाब दिए बिना ग्रुप छोड़ दिया तो उसे दोबारा जोड़ा गया। फिर उसे और परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई। घटना के बाद पीड़ित की तहरीर पर धूमनगंज पुलिस ने 29 जून को रिपोर्ट दर्ज की। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी ने केस एटीएस को ट्रांसफर कर दिया।
वाट्सएप ग्रुप में आतंकियों की फोटो होने और नंबर विदेश के होने पर पुलिस, क्राइम ब्रांच, एटीएस व खुफिया एजेंसी छानबीन में जुटी रहीं, लेकिन नतीजा शून्य है। हकीकत है या शरारत : मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने सच्चाई और शरारत के बिंदु पर जांच शुरू की। इसी थ्योरी पर एटीएस ने भी काम शुरू किया। लखनऊ और वाराणसी की टीम दो दिनों तक शहर में डेरा जमाए रही। वाट्सएप से डाटा व चैट रिकवर कराए जाने की बात कही गई, लेकिन धमकी सच में दी गई थी या किसी की शरारत थी। यह स्पष्ट नहीं हो सका है। प्रकरण की जांच एटीएस को सौंपी गई है। टीम जांच कर रही है। अब तक कुछ खास क्लू नहीं मिल सका है। - नितिन तिवारी, एसएसपी