महिला आयोग ने की जांच, फर्जीवाड़े पर लगी मुहर
जिले में चल रहे बहुचर्चित महिला आश्रय गृह प्रकरण मामले में महिला आयोग की सदस्य ने आश्रय गृहों का जायजा लिया। साथ ही अभिलेख भी खंगाले। जांच में फर्जीवाड़े पर मुहर लगी।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : जिले में चल रहे बहुचर्चित महिला आश्रय गृह प्रकरण की जांच राज्य महिला आयोग ने भी शुरू कर दी है। शनिवार को आयोग की टीम ने यहां आकर दोनों सेंटरों का जायजा लिया तो एक बार फिर संस्थाओं द्वारा किए गए फर्जीवाड़े पर मुहर लग गई। महिलाओं के आए बिना ही उनके नाम दर्ज करने की बात साबित हुई।
आयोग की सदस्य अनीता ¨सह दिन में करीब 12 बजे सबसे पहले अष्टभुजा नगर पहुंचीं। उन्होंने काली सूची में डाली गई जागृति संस्था के स्वाधार महिला आश्रय गृह का निरीक्षण किया। वहां मात्र एक महिला मिली और केयरटेकर मिली। दोनों का बयान बंद कमरे में दर्ज किया। अभिलेख भी देखे और कुछ को एसडीएम के हवाले किया। कहा कि इसकी छानबीन कराएं। वहां मौजूद सीडीपीओ से भी जानकारी ली। इसके बाद टीम अचलपुर आश्रय गृह पहुंची। वहां काउंसलर व दो महिलाएं मिलीं। उनसे बयान लिया तो महिलाओं ने कहा कि घर के लोगों की राह देख रहे हैं, उनके आते ही यहां से चली जाएंगीं। यहां भी राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता ¨सह ने अभिलेखों की गहराई से छानबीन कराई। इस दौरान एसडीएम सदर सत्य प्रकाश ¨सह, सीओ रमेश चंद्र, महिला थाने की एसएचओ दुर्गावती यादव समेत पुलिस व प्रशासन के कर्मी मौजूद रहे। --इनसेट--
सीएम तक जाएगी जांच रिपोर्ट : अनीता
दोनों आश्रय गृहों का निरीक्षण करने के बाद राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता ¨सह ने दैनिक जागरण से बातचीत की। इसमें उन्होंने कहा कि आयोग के संज्ञान में आया था कि प्रतापगढ़ के दो आश्रय गृहों से दो दर्जन महिलाएं गायब हो गई हैं। इस पर आयोग ने इसे गंभीर मामला समझकर मुझे भेजा, पर यहां आने पर ऐसी बात नहीं मिली। जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार महिलाओं के नाम काल्पनिक दिखाकर अनुदान में गोलमाल किया जाना प्रतीत होता है। अपने आप ही स्पष्ट है कि जब महिलाएं वास्तव में थीं ही नहीं तो गायब कैसे हो जाएंगीं। दोनों आश्रय गृह कागजी कहे जाएं तो गलत न होगा। निरीक्षण की रिपोर्ट आयोग, विभागीय कैबिनेट मंत्री डा. रीता बहुगुणा जोशी के जरिए सीएम तक जाएगी। एक्शन वहीं से होगा।
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नाम काटने-बढ़ाने का मिलता था पैसा
राज्य महिला आयोग की छानबीन में एक महत्वपूर्ण बात उभरकर सामने आई। दोनों ही आश्रय गृहों में मिली स्टाफ ने स्वीकार किया कि उनको महिलाओं के फर्जी नाम दर्ज करने को अलग से पैसे मिलते थे। संस्था संचालकों का निर्देश था कि रजिस्टर में महिलाओं की संख्या हमेशा 15 से ऊपर ही दर्ज रहे। जो महिलाएं कुछ साल रहकर चली जाए, उनकी जगह दूसरे काल्पनिक नाम दर्ज किए जाएं। ताकि अनुदान मिलने में कोई रुकावट न आए। कम संख्या में पंजीकरण मिलने पर नियम है कि उस सेंटर को दूसरे सेंटर से अटैच कर दिया जाए।
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दोनों संस्थाओं के कार्य पर रोक
काली सूची में जा चुकीं जागृति व मैक्सन संस्थाएं सरकारी योजना के प्रोजेक्ट अब नहीं चला सकेंगीं। डीएम शंभु कुमार का कहना है कि प्रतापगढ़ के साथ ही दूसरे जिलों में भी इनके कार्य पर रोक लगेगी। साथ ही सरकारी पैसे की एक-एक पाई वसूल किए जाएंगे।