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आरटीआइ से मिली सूचना तो विभाग पर उठे सवाल

आरटीआइ से सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठने लगे हैं। जिले के 37 निजी अस्पताल ही वैध है। प्रतापगढ़ जिले में भले ही 100 से अधिक निजी अस्पताल चल रहे हैं, पर इनमें से केवल 37

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 07:00 AM (IST)
आरटीआइ से मिली सूचना तो विभाग पर उठे सवाल
आरटीआइ से मिली सूचना तो विभाग पर उठे सवाल

इलाहाबाद : प्रतापगढ़ जिले में भले ही 100 से अधिक निजी अस्पताल चल रहे हैं, पर इनमें से केवल 37 ही वैध हैं। ऐसा विभाग खुद कह रहा है और लिखापढ़ी में मान भी रहा है। अब अवैध अस्पतालों में मरीज मरें तो मरें इसकी बला से।

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जिले में सरकारी अस्पतालों का जाल तो है, पर निजी अस्पतालों के बिना काम नहीं चलता। 35 लाख की आबादी को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का पर्चा कटवाना ही पड़ता है। इस मजबूरी का फायदा कई अस्पताल संचालक उठाते हैं। वह मरीज की ¨जदगी का सौदा करते हैं भर्ती होने के पहले व यहां तक कि मरने के बाद भी घर वालों का लंबा बिल थमा देते हैं। यह सब हो भी क्यों न जब स्वास्थ्य विभाग ही उन पर मेहरबान है। जिले में शहर से लेकर कस्बों तक क्लीनिक, अस्पताल, अल्ट्रासाउंड सेंटर के बोर्ड आसानी से दिख जाते हैं, पर विभाग इनकी ओर नहीं देखता।

जिले में 100 से अधिक नर्सिंग होम संचालि हैं, पर विभाग में पंजीकरण केवल 37 का ही है। वही लाइसेंस लिए हैं, वही सारे मानक पूरे करते हैं। बाकी में अपनी ढपली अपना राग है। यह सच खुद विभाग ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी कई सूचना देने में दबे मन से ही सही, पर स्वीकार किया है। विभाग के पास इनकी मनमानी रोकने की फुर्सत नहीं है।

अवैध अस्पतालों में किसी मरीज की मौत हो जाए, अधिक पैसे वसूले जाएं तो विभाग लाइसेंस रद करने की चेतावनी भी देने की स्थिति में नहीं है। न ही मरीज के घर वाले मुआवजे का दावा ही कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास उनको कोई अभिलेख नहीं है।

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निजी अस्पतालों के लाइसेंस की जांच टीम बनाकर कराई जाएगी। अगर अवैध ढंग से चलते मिले तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। एफआइआर कराई जाएगी।

-डॉ. एके श्रीवास्तव, सीएमओ


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