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India-China Tension : प्रतापगढ़ के आंवले का विदेशी कैंडी से है टक्कर, स्‍वदेशी प्रेम ने बढ़ाई मांग

India-China Tension चीन की हरकत से लोगों में स्‍वदेश प्रेम उमड़ा। अचानक बाजार में बदलाव दिख रहा है। विदेशी खाद्य पदार्थों से भी मोह भंग है! प्रतापगढ़ में आंवले का कारोबार बढ़ा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 04:01 PM (IST)
India-China Tension : प्रतापगढ़ के आंवले का विदेशी कैंडी से है टक्कर, स्‍वदेशी प्रेम ने बढ़ाई मांग
India-China Tension : प्रतापगढ़ के आंवले का विदेशी कैंडी से है टक्कर, स्‍वदेशी प्रेम ने बढ़ाई मांग

प्रयागराज, जेएनएन। यूं तो बरसों से प्रतापगढ़ के आंवले से बने चूरन, लड्डू, बर्फी, सैंपू, जूस, आंवला रोल और मुरब्बा का व्यापार हो रहा है। अब जब से यूपी सरकार ने आंवले को एक जिला-एक उत्पाद में चुना, तब से इसका प्रचार और भी तेज हुआ। लॉकडाउन में इसका भी व्यवसाय पूरी तरह ठप हुआ। वहीं चीन से तनातनी के बाद जिस तरह उसके सामानों का बहिष्कार शुरू हुआ है, उससे आंवला कारोबार की रंगत लौटने की उम्मीद बंधी हैैं। इसके लिए आंवला उद्यमियों ने उत्पाद के साथ तैयारी तेज कर दी है।

चीन से टकराव पर लोगों में जागा स्वदेशी प्रेम
आंवले का उत्पाद होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट पर तेजी से चलन में आया है। आंवले से बने मुरब्बा, कैंडी, अचार, बर्फी, लड्डू, पावडर, जूस एवं सैंपू की डिमांड भी पहले से है। लॉकडाउन अनलॉक होने पर आंवला फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू तो हुआ लेकिन खरीद की रफ्तार तेज नहीं रही। इसी बीच चीन से टकराव के कारण लोगों में स्वदेशी प्रेम जागा और विदेश से आने वाले सामानों से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसे आंवला कारोबारी आलोक खंडेलवाल अवसर के रूप में देखते हैैं। कहते हैैं कि मलेशिया से आने वाली फ्रूट कैंडी से आंवला कैंडी की सीधी टक्कर है। इससे आंवला की कैंडी की डिमांड बढऩे लगी है। इसी तरह आंवला से बने शैंपू का बाजार भी धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। इससे आंवला कारोबारी उत्साहित हैैं।

साल भर में 30 करोड़ का आंवले का व्यापार होता है
जिले में 13020 हेक्टेयर में आंवले के बाग हैं। इनमें देशी, चकैया किस्म के आंवले होते हैं। यहां दो दर्जन आंवला उद्योग हैैं। एक हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिला है। वहीं आंवला कारोबारी अनुराग खंडेलवाल बताते हैं कि साल में करीब 300 टन आंवले के उत्पाद की खपत है। इससे साल भर में 30 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होता है। सबसे अधिक डिमांड मुरब्बा, कैंडी, बर्फी व लड्डू की है। अगर देश प्रेम के कारण चीन के साथ अन्य विदेशी फ्रूट जूस और कैंडी की बिक्री में कमी जारी रही तो निश्चित रूप से आंवला उद्यमियों एवं व्यापारियों को इसका काफी फायदा मिलेगा।

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