धूल के गुबार से बढ़ गए सांस के रोगी, मास्क लगाना बना मजबूरी
कुंभ कार्यों के तहत इन दिनों शहरवासियों का राह चलना दूभर हो गया है। हर ओर धूल के उठते गुबार के बीच वाहन चालकों को आवागमन करना पड़ रहा है। सांस के मरीज भी बढ़ गए हैं।
प्रयागराज : कुंभ अब करीब आ गया है। कुंभ को लेकर शहर में निर्माण कार्य जोरों पर है। ऐसे में पिछले कई महीने से पेड़ों की कटाई जमकर हुई है। वहीं निर्माण कार्य के चलते धूल के गुबार शहर में हर जगह दिखते हैं। विशालकाय पेड़ों वाले इस शहर में बड़े पैमाने पर लोग मॉस्क लगाकर चलने को विवश हो गए हैं। अगर वह ऐसा न करें तो अस्पताल का रास्ता पकडऩा पड़ेगा। क्योंकि धूल के कारण जिस तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ा है। उसी अनुपात में सांस और दमा के रोगी भी बढ़े हैं। दैनिक जागरण ने जब प्रदूषण के आंकड़े देखने के बाद चिकित्सकों से बात की तो पता चला कि पिछले कुछ समय में श्वास रोगियों की संख्या पहले से दोगुनी हो गई है।
अलोपीबाग चौराहा शहर में सबसे ज्यादा प्रदूषित :
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण नापने के लिए शहर में पांच मॉनीटङ्क्षरग स्टेशन (अशोक नगर, जानसेनगंज चौराहा, अलोपीबाग में सीवरेज पंपिंग स्टेशन, रामबाग में पराग डेयरी और कटरा में लक्ष्मी टॉकीज चौराहा के पास) बनाए हैं। पांचों स्थानों पर प्रदूषण मापक यंत्र रेस्पायरेवल डस्ट सेंपलर (आरडीएस) लगाए गए हैं। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) की मदद से इन यंत्रों के जरिए प्रदूषण की मात्रा की जांच होती है। सितंबर में उक्त पांचों क्षेत्रों के सैंपलों की जांच रिपोर्ट बताती है कि किसी भी जगह वायु प्रदूषण की मात्रा सामान्य नहीं है। इन जगहों पर पार्टीकुलेट मैटर (पीएम-10) की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा मिली है। अलोपीबाग में सर्वाधिक 199.28 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और सबसे कम जानसेनगंज में 120.45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अगर पानी का छिड़काव होता रहे तो धूल बैठ जाएगी, जिससे इतना प्रदूषण नहीं बढ़ेगा।
क्षेत्र- प्रदूषण दर
अशोक नगर 160 मिलीग्राम प्रति घन मीटर
जानसेनगंज चौराहा 120.45 मिलीग्राम प्रति घन मीटर
अलोपीबाग चौराहा 199.28 मिलीग्राम प्रति घन मीटर
लक्ष्मी टॉकीज चौराहा 182 मिलीग्राम प्रति घन मीटर
रामबाग- 165.67 मिलीग्राम प्रति घन मीटर
30 फीसद सिर्फ दम फूलने के मरीज :
धूल ने शहर की सेहत खराब कर दी है। विशालकाय पेड़ों की छांव में बसे जिस प्रयागराज शहर में कभी मॉस्क दिखते भी नहीं थे। वहां अब बड़े पैमाने पर लोग मॉस्क लगाए दिख रहे हैं। जो नहीं इस्तेमाल कर रहे हैं, वह अस्पताल पहुंच रहे हैं। नतीजा यह है कि शहर के सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले कुल मरीजों में 30 फीसद केवल सांस के ही रोगी हैं। शहर में इन दिनों लोग खुलकर सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। शहर में धूल और धुएं का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के कारण एलर्जी और अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। धूल नाक और मुंह से सीधे फेफड़े तक पहुंच रही है। तेजबहादुर सप्रू अस्पताल के चेस्ट फिजीशियन डॉ. सीपी वर्मा ने बताया कि पहले के मुकाबले दो से तीन गुना श्वास रोगी बढ़े हैं। स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ.तारिक महमूद ने कहा कि ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में तीस फीसद के करीब श्वास रोग से ग्रस्त हैं। प्रतिदिन 50 से 60 मरीज उनके पास पहुंच रहे हैं।
मॉस्क की बिक्री बढ़ी :
डेढ़ साल पहले तक शहर में मॉस्क की बिक्री शून्य थी। लेकिन अब रोजाना 40-50 मॉस्क की बिक्री हो रही है। यह आंकड़े सचमुच हैरान करने वाले हैं। करीब एक डेढ़ साल पहले शहर के सभी मेडिकल स्टोरों पर मॉस्क मिलते तक नहीं थे। क्योंकि इनकी बिक्री ही नहीं थी। अब हर मेडिकल स्टोर पर मॉस्क उपलब्ध है। कटरा में मेडिकल स्टोर के संचालक सुधीर मिश्रा कहते हैं कि अब रोज 40 से 50 मॉस्क रोजाना बिक रहे हैं। एक साल पहले एक भी नहीं बिकता था। इसलिए अब लगभग हर मेडिकल स्टोर में आसानी से मिल जाता हैं।