हैरत की बात : दो साल में इस कारण घट गया इनकम टैक्स Prayagraj News
पिछले एक दशक से आयकर (इनकम टैक्स) वसूली की दर में काफी उतार-चढ़ाव आया है। लक्ष्य के करीब वसूली नहीं पहुंच पा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण कर चोरी है।
By Edited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 07:48 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 07:54 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। एक दशक से आयकर (इनकम टैक्स) वसूली की दर में काफी उतार-चढ़ाव आया है। किसी भी साल में वसूली दर 40 फीसद के आंकड़े को छू नहीं सका। पिछले दो वर्षो में तो वसूली दर की स्थिति और बिगड़ी है। इसमें काफी कमी आई है। वसूली दर घटने की मुख्य वजह कर चोरी माना जा रहा है।
पांच जिलाें में आयकर वसूली दर संतोषजनक नहीं है
इलाहाबाद प्रभार के पांच जिलों प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र में वित्तीय वर्ष 2009-10 से लेकर 2018-19 तक आयकर वसूली दर संतोषजनक नहीं है। दो वर्षो में इसमें और कमी आयी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में वसूली दर 38.85 फीसद थी जो वित्तीय वर्ष 2017-18 और 18-19 में घटकर क्रमश: 21.4 और 15.37 फीसद हो गई है।
50 फीसद कम वसूली से विभागीय अफसर भी चिंतित
आश्चर्यजनक बात यह कि वर्ष 2016-17 की तुलना में 2018-19 में वसूली दर में 50 फीसद से भी ज्यादा की कमी दर्ज हुई। इसको लेकर विभागीय अफसर भी चिंतित हैं। उनका मानना है कि वसूली दर घटने की वजह करदाताओं में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सर्वे में सामने आ रहीं बड़ी विसंगतियां किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान अथवा प्रोफेशनल के यहां सर्वे करने पर बड़ी विसंगतियां सामने आ रही हैं। ज्यादातर करदाताओं के पास नियमित लेखा पुस्तकें नहीं मिलती हैं।
अफसरों के पूछने पर बनाया जाता है बहाना
अफसरों के पूछताछ में बहाना बनाया जाता है कि उनका एकाउंटेंट अपने घर पर लेखा पुस्तकें लिखता है। कुछ इसकी जानकारी से ही इन्कार कर देते हैं। कह देते हैं कि यह सब उनके सीए की जानकारी में है। सर्वे के दौरान संबंधित सीए से संपर्क करने पर वह कहते हैं कि उनके पास लेखा पुस्तकें नहीं हैं। यानी करदाताओं में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
वर्षवार वसूली दर (फीसद में)
2010-11 में 19.04
2011-12 में 35.91
2012-13 में 24.02
2013-14 में 39.7
2014-15 में 13.3
2015-16 में 26.7
2016-17 में 38.85
2017-18 में 21.4
2018-19 में 15.37
बोले प्रधान आयकर आयुक्त
प्रधान आयकर आयुक्त सुबचन राम का कहना है कि एक दशक से आयकर संग्रह में इतना उतार-चढ़ाव चिंतनीय है। इलाहाबाद प्रभार के जिलेवार जीडीपी का अध्ययन किया जा रहा है। व्यावसायिक ट्रेंड का भी विश्लेषण किया जा रहा है। उसके बाद ही निश्चित तौर पर तथ्यों के आधार पर कुछ जानकारी दी जा सकेगी।
पांच जिलाें में आयकर वसूली दर संतोषजनक नहीं है
इलाहाबाद प्रभार के पांच जिलों प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र में वित्तीय वर्ष 2009-10 से लेकर 2018-19 तक आयकर वसूली दर संतोषजनक नहीं है। दो वर्षो में इसमें और कमी आयी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में वसूली दर 38.85 फीसद थी जो वित्तीय वर्ष 2017-18 और 18-19 में घटकर क्रमश: 21.4 और 15.37 फीसद हो गई है।
50 फीसद कम वसूली से विभागीय अफसर भी चिंतित
आश्चर्यजनक बात यह कि वर्ष 2016-17 की तुलना में 2018-19 में वसूली दर में 50 फीसद से भी ज्यादा की कमी दर्ज हुई। इसको लेकर विभागीय अफसर भी चिंतित हैं। उनका मानना है कि वसूली दर घटने की वजह करदाताओं में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सर्वे में सामने आ रहीं बड़ी विसंगतियां किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान अथवा प्रोफेशनल के यहां सर्वे करने पर बड़ी विसंगतियां सामने आ रही हैं। ज्यादातर करदाताओं के पास नियमित लेखा पुस्तकें नहीं मिलती हैं।
अफसरों के पूछने पर बनाया जाता है बहाना
अफसरों के पूछताछ में बहाना बनाया जाता है कि उनका एकाउंटेंट अपने घर पर लेखा पुस्तकें लिखता है। कुछ इसकी जानकारी से ही इन्कार कर देते हैं। कह देते हैं कि यह सब उनके सीए की जानकारी में है। सर्वे के दौरान संबंधित सीए से संपर्क करने पर वह कहते हैं कि उनके पास लेखा पुस्तकें नहीं हैं। यानी करदाताओं में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
वर्षवार वसूली दर (फीसद में)
2010-11 में 19.04
2011-12 में 35.91
2012-13 में 24.02
2013-14 में 39.7
2014-15 में 13.3
2015-16 में 26.7
2016-17 में 38.85
2017-18 में 21.4
2018-19 में 15.37
बोले प्रधान आयकर आयुक्त
प्रधान आयकर आयुक्त सुबचन राम का कहना है कि एक दशक से आयकर संग्रह में इतना उतार-चढ़ाव चिंतनीय है। इलाहाबाद प्रभार के जिलेवार जीडीपी का अध्ययन किया जा रहा है। व्यावसायिक ट्रेंड का भी विश्लेषण किया जा रहा है। उसके बाद ही निश्चित तौर पर तथ्यों के आधार पर कुछ जानकारी दी जा सकेगी।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें