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प्रयागराज में दारोगा ने कोर्ट से पूछा विवेचना का निस्तारण कैसे करें, पूरी केस डायरी को ही कर दिया गया है गायब

दारोगा राजेंद्र कुमार ने 17 फरवरी को कोर्ट में भेजी रिपोर्ट में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पूछा है कि विवेचना का निस्तारण कैसे किया जाए? स्पष्ट निर्देश दिया जाए। उसने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व प्रभारी निरीक्षक कर्नलगंज को विभिन्न तिथियों में दिए गए पत्र को भी संलग्न किया है

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 06:00 AM (IST)
प्रयागराज में दारोगा ने कोर्ट से पूछा विवेचना का निस्तारण कैसे करें, पूरी केस डायरी को ही कर दिया गया है गायब
कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पूछा है कि विवेचना का निस्तारण कैसे किया जाए

प्रयागराज, जेएनएन। शहर के कर्नलगंज थाने में तैनात दारोगा राजेंद्र कुमार ने 17 फरवरी को कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से पूछा है कि विवेचना का निस्तारण कैसे किया जाए? स्पष्ट निर्देश दिया जाए। उसने अपनी रिपोर्ट के साथ सीओ, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व प्रभारी निरीक्षक कर्नलगंज को विभिन्न तिथियों में दिए गए पत्र को भी संलग्न किया है और कहा है कि केस डायरी ही गायब है।

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छह वर्ष पुराना है मामला, कर्नलगंज में दर्ज हुई थी रिपोर्ट

मामला यह है कि थाना कर्नलगंज में राकेश प्रताप सिंह की तहरीर पर छह वर्ष पूर्व मुकदमा कायम किया गया और उसकी विवेचना दारोगा विनोद कुमार सिंह, अवध बिहारी शुक्ला, गजानंद सिंह, राजेंद्र सिंह, संतोष कुमार सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह, दयाराम, चंद्रेश उपाध्याय, लाखन सिंह के बाद राजेंद्र कुमार को 26 जुलाई 2020 को सौंपी गई। मामले में नौ थानेदारों द्वारा जो विवेचना की गई, उसमें आरोप है कि उक्त विवेचना में लिखे गए पर्चे (केस डायरी) के पन्ने गायब हैं। विवेचना में किए गए खेल के चलते अब तक कुल नौ पर्चे ही मिल पा रहे हैं। अन्य पर्चों को संबंधित विवेचक दारोगा क्या किए इसका कोई हवाला नहीं मिल रहा है। संबंधित अधिकारी पल्ला झाड़कर विवेचना को लंबित किए हुए हैं। इधर विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इंस्पेक्टर कर्नलगंज को निर्देशित किया कि विवेचना काफी लंबी अवधि तक जारी नहीं रखी जा सकती। विवेचक को आदेश दिया कि विधि अनुसार विवेचना करके उसके परिणाम से कोर्ट को अवगत कराया जाए।

याची के अधिवक्ता डीएस लाल ने कोर्ट को बताया कि घटना 10 अक्टूबर 2014 की है। याची का भूखंड मम्फोर्डगंज मोहल्ले में है। इस पर कुछ लोग याची के भूखंड पर कब्जा की फिराक में थे। उसे घेरकर फायर किया और फर्जी ढंग से खतौनी बनाए थे। संपत्ति इंप्रूवमेंट ट्रस्ट से संबंधित है। नौ लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। विवेचना के कार्य में संबंधित दारोगा अभियुक्तों से साठ-गांठ बनाए रहे और विवेचना में लापरवाही करके पत्रावली को दबाए रखा। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रभारी निरीक्षक कर्नलगंज व संबंधित विवेचक को चेतावनी देते हुए निर्देश दिया है कि विवेचना की प्रगति आख्या प्रत्येक दशा में भेजना सुनिश्चित करें, अन्यथा विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

कई स्थानांतरित तो कई हुए सेवानिवृत्त

छह वर्ष के अंतराल में नौ विवेचकों में कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कई दूसरे थानों में तैनात हैं। दसवें विवेचक राजेंद्र कुमार हैं, जिन्हें विवेचना के पर्चे नहीं मिलने से नए सिरे से विवेचना करने की इजाजत अपने अधिकारियों से चाह रहे हैं।


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