पैर में ही क्यों लगती है पुलिस एनकाउंटर में अपराधियों को गोली? आपरेशन लंगड़ा क्यों कहते हैं इसे
ऐसा क्यों नहीं कि कभी किसी अपराधी के पेट या पीठ पर गोली लग जाए। क्या वजह है कि पुलिस एनकाउंटर में अपराधी घायल होते हैं तो गोली उनके पैर के निचले हिस्से में ही लगी होती है। इस सवाल पर रिटायर पुलिस अफसरों से बात की गई।
प्रयागराज, जेएनएन। पिछले दो साल के दौरान यूपी भर में हुए सैकड़ों एनकाउंटर हों या प्रयागराज में तकरीबन दो दर्जन पुलिस मुठभेड़ की घटनाएं, लगभग सभी घटनाओं में पुलिस फायरिंग में अपराधियों के पैर में ही गोली लगी है। वो भी घुटने से नीचे ही। आखिर ऐसा क्यों है।
ऐसा क्यों नहीं कि कभी किसी अपराधी के पेट या पीठ पर गोली लग जाए। कमर या जांघ पर गोली जा धंसे। क्या वजह है कि पुलिस एनकाउंटर में अपराधी घायल होते हैं तो गोली उनके पैर के निचले हिस्से में ही लगी होती है। पब्लिक के मन में उठने वाले इस सवाल पर रिटायर पुलिस अफसरों से बात की गई।
इन घटनाओं पर डालिए नजर जिनमें पैर में ही लगी गोली
पहले हाल-फिलहाल के कुछ पुलिस एनकाउंटर पर गौर करिए। सबसे ताजा घटना शनिवार भोर की है। मऊआइमा में मंगेतर के सामने युवती से खींचतान करने के साथ ही वीडियो बनाने वाले तीन युवकों में एक कैफ को पुलिस ने मुठभेड़ में गिरफ्तार किया। क्रास फायरिंग में कैफ पैर के निचले हिस्से में गोली लगी।
इसके कुछ ही दिन पहले 19 सितंबर की भोर में पूरामुफ्ती पुलिस ने भी एनकाउंटर में दो बदमाशों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक अपराधी रत्नेश उर्फ नेकलेस के पैर के निचले हिस्से में गोली लगी। उसके साथी गोली निवासी मनौरी को भी पुलिस ने पकड़ा। कुछ ही दिन पहले नवाबगंज के मंसूराबाद के पास वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस के रोकने पर बदमाश फायरिग करते हुए भागने लगे थे। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की तो संजय मौर्य और शहंशाह नामक दो अपराधी मुठभेड़ में जख्मी और इन दोनों के भी पैर में ही गोली लगी थी।
पैर में गोली लगने से आपरेशन लंगड़ा के नाम से चर्चित
ये तीन घटनाएं तो बतौर मिसाल प्रस्तुत की गई हैं। तकरीबन हर पुलिस एनकाउंटर में अपराधियों के पैर में ही गोली लगती है। पैर में गोली लगने की वजह से यह पुलिस का आपरेशन लंगड़ा के नाम से चर्चित हो चुका है। गोली लगने से घायल अपराधी लंगड़ाने या लड़खड़ाकर चलने लगता है।
पैर में ही गोली लगने के सवाल पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती है कि मुठभेड़ के दौरान कोशिश की जाए कि अपराधी को जिंदा पकड़ा जाए।
जीवित पकड़ने के लिए शरीर के निचले हिस्से पर फायरिंग
रिटायर्ड डिप्टी एसपी विवेकानंद तिवारी का कहना है कि जिंदा गिरफ्तार करने के प्रयास के तहत ही एनकाउंटर के दौरान अपराधियों के शरीर के निचले हिस्से पर टारगेट किया जाता है। अपराधियों से आमना-सामना होने पर पुलिस की ओर से कोशिश रहती है कि गोली लगे भी तो पैर पर ताकि उसकी जान पर खतरा न रहे और अपराधी को गिरफ्तार किया जा सके क्योंकि कानूनन अपराधियों को जानबूझकर नहीं मारा जा सकता।
कई बार एनकाउंटर के दौरान अपराधियों को शरीर में सीने या पेट में लोगी लग जाती और वे मारे जाते हैं। ऐसा तब होता है जब अपराधी पुलिस पर लगातार गोली चलाकर भागते हैं और पुलिस भी बचाव में फायरिंग करती है।