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मेडिकल कालेज प्रतापगढ़ में मरीजों की भीड़ से कम पड़ रहे हैं बेड, मेज पर करना पड़ रहा इलाज

मरीजों को जब स्वजन अस्पताल लेकर पहुंचते हैं तो उनको भारी मुश्किलें होती हैं। बेड कम पड़ जाते हैं। किसी को मेज तो किसी को स्ट्रेचर पर रखकर उपचार करना पड़ता है। अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में 30 बेड पर ज्यादातर दुर्घटना से पीडि़त लोग ही भर्ती रहते हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 07:00 AM (IST)
मेडिकल कालेज प्रतापगढ़ में मरीजों की भीड़ से कम पड़ रहे हैं बेड, मेज पर करना पड़ रहा इलाज
मौसम की मार से बढ़ी मरीजों की आमद, स्ट्रेचर पर ही लगानी पड़ रही है ड्रिप

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा तो मिल गया, पर अब तक अस्पताल में संसाधनों की कमी बरकरार है। कहने को पुरुष अस्पताल में 200 बेड लगे हैं, पर मरीजों का जिस तरह से इलाज करना पड़ रहा है, उसे देखते हुए दावे पर यकीन नहीं होता।

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बारिश में बढ़ गए हैं रोगी

इन दिनों मौसम कई रंग दिखा रहा है। कभी बरसात होने से सिहरन होने लगती है, कभी उमस बेहाल कर देती है। मौसम के इस उतार-चढ़ाव से बहुत से लोग वायरल संक्रमण से पस्त हो जा रहे हैं। उनको बुखार, जुकाम, गले में खराश, उल्टी-दस्त, चक्कर व उलझन की समस्या हो रही है। खासकर बुजुर्ग व बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे मरीजों को जब स्वजन अस्पताल लेकर पहुंचते हैं तो उनको भारी मुश्किलें होती हैं। बेड कम पड़ जाते हैं। किसी को मेज तो किसी को स्ट्रेचर पर ही रखकर उपचार करना पड़ता है। अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में 30 बेड की व्यवस्था है। इन पर ज्यादातर दुर्घटना से पीडि़त लोग ही भरे रहते हैं। कुछ मरीज ऐसी दशा में होते हैं कि उनको दूसरे वार्ड में शिफ्ट नहीं किया सकता। शुक्रवार को भी ऐसा ही देखा गया। कई मरीज इमरजेंसी के बरामदे में मेज पर रखे गए थे। उसी पर उनकी सुई व दवाई हो रही थी। वह कहीं मेज से गिर न जाएं, इस चिंता में स्वजन उनको पकड़े खड़े थे। महिला मरीजों को संभालना और मुश्किल हो रहा था। अभी मेडिकल कालेज के नए वार्ड बनने शुरू हुए हैं। पूरा होने में सालों का समय लग सकता है। तब तक विभाग किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में नहीं सोच रहा है।

सीएमएस का यह है कहना

अभी मेडिकल कालेज के अस्पताल का निर्माण चल रहा है। बन जाने पर समस्या दूर हो पाएगी। जितने बेड हैं उस पर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। गंभीर मरीज को लौटाया भी तो नहीं जा सकता।

- डा. सुरेश सिंह, सीएमएस


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