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UP Board Exam-2020 : एसटीएफ ने केंद्र व्यवस्थापक समेत तीन को भेजा जेल, सामूहिक नकल का मामला Prayagraj News

इंद्रभान और उसका बेटा और विकास यादव मेजा निवासी हैं। मातादान इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य भी इंद्रभान ही है। आशीष भी उसी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक है। एसटीएफ ने तीनों को जेल भेजा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 06:36 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 06:36 PM (IST)
UP Board Exam-2020 : एसटीएफ ने केंद्र व्यवस्थापक समेत तीन को भेजा जेल, सामूहिक नकल का मामला Prayagraj News
UP Board Exam-2020 : एसटीएफ ने केंद्र व्यवस्थापक समेत तीन को भेजा जेल, सामूहिक नकल का मामला Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। यूपी बोर्ड की परीक्षा में सामूहिक नकल कराने के आरोप में केंद्र व्यवस्थापक इंद्रभान सिंह, उसके शिक्षक बेटे आशीष सिंह व सॉल्वर विकास यादव को स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने जेल भेज दिया। एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार किया था।

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एसटीएफ के सीओ ने मेजा के बाग से पकड़ा था

इंद्रभान और उसका बेटा मेजा के तरवाई विगहना गांव के रहने वाले हैं, जबकि विकास यादव मेजा के डाड़ी गांव का निवासी है। मातादान इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य भी इंद्रभान ही है। आशीष भी उसी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक है। एसटीएफ के अधिकारियों को इस स्कूल में नकल कराने की शिकायत मिल रही थी। शनिवार को इंटरमीडिएट की द्वितीय पाली में गणित का पेपर हो रहा था। इसी दौरान एसटीएफ सीओ नवेंदु कुमार ने टीम के साथ स्कूल से कुछ दूर पर एक बाग में छापामारी करते हुए विकास को पकड़ लिया। उसे जेल भेज दिया गया। उसके पास से उत्तर पुस्तिकाएं मिलीं।

प्रश्नपत्रों को बाहर बैठे सॉल्वर तक वाट्सएप से पहुंचाते व साल्व भी करवाते थे

पूछताछ में विकास ने बताया कि कॉपी स्कूल के प्रधानाचार्य और उसके बेटे को देनी थी। इस पर एसटीएफ ने उनको भी पकड़ लिया। पता चला कि दोनों इंटरमीडिएट के प्रश्नपत्रों को बाहर बैठे सॉल्वर तक वाट्सएप से पहुंचाते थे और साल्व भी करवाते थे। एसटीएफ के एडिशनल एसपी नीरज पांडेय ने बताया कि विकास के पास से बरामद बी कापियों और उसके वाट्सएप चैट पर मिले गणित के प्रश्नपत्र से मामले की पुष्टि हुई।

प्रत्येक प्रश्नपत्र साल्व करने पर साल्वर को चार हजार रुपये मिलते थे

यह भी पता चला कि एक प्रश्नपत्र साल्व करने पर साल्वर को चार हजार रुपये मिलते थे। अभ्यर्थियों से परीक्षा के सभी विषयों को हल करवाने के लिए 35 से 40 हजार रुपये और एक प्रश्नपत्र के लिए 10 से 15 हजार रुपये लिए जाते थे। सभी के खिलाफ मेजा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।


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