देश की आजादी में कहला के किसानों ने दी थी कुर्बानी
प्रतापगढ़ में कहला की धरती पर किसानों ने कुर्बानी दी थी। अंग्रेजी गोली का शिकार हुए इन शहीदों की याद में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी यहां पहुंच कर उन्हें नमन किया था।
प्रयागराज : देश को आजाद कराने में कहला की धरती का बड़ा ही योगदान रहा। आजादी की जंग छिड़ी थी, क्रांतिकारी जूझ रहे थे तो बेल्हा के किसानों ने न केवल पसीना ही बहाया बल्कि अपना खून भी बहाया। 16 फरवरी वर्ष 1931 को किसानों की सभा पर अंग्रेजी सेना ने गोली चलाई थी, जिसमें तीन किसान शहीद हो गए थे। यह दिन आते ही कहला के लोग सिहर उठते हैं और उनकी याद ताजा हो जाती है।
1931 को अंग्रेजी हुकूमत ने कर दी थी तीन किसानों की हत्या
16 फरवरी 1931 को अंग्रेजी हुकुमत ने सबको हिला कर रख दिया था। जब लगान बंदी आंदोलन के लिए कहला में किसानों की अपार भीड़ जुटी तो अंग्रेजी सिपाहियों ने गोलियां चलाईं। इसमें कहला गांव के माता चरण कुर्मी, कौलापुर गांव के मथुराप्रसाद यादव व नाथ का पूरा गांव के रामदास उपाध्याय की जान चली गई। वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए थे। मौत की खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। यहां राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, पंडित जवाहर लाल नेहरू, कमला नेहरू सहित अन्य नेता कहला की धरती पर पहुंचे और शहीदों को नमन किया। उनकी वीरता को भी सलाम किया।
पूर्व पीएम ने स्मारक व कॉलेज बनवाने की घोषणा किया था
1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहां आईं थीं और शहीद स्मारक व कॉलेज बनवाने की घोषणा की थी। स्मारक तो बना, लेकिन कॉलेज नहीं बन सका। 1998 में प्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री रहे प्रो. शिवाकांत ओझा ने स्मारक का उद्घाटन किया था। शहीदों के नाम पर कहला सीएचसी व सड़क का निर्माण कराया था। यहां पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण ङ्क्षसह, मुलायम ङ्क्षसह के साथ कई केंद्रीय मंत्री भी आ चुके हैं।
शहीदों का शिलापट व अशोक चक्र टूटा पड़ा है
कहला में शहीदों का शिलापट व अशोक चक्र टूटा पड़ा है। अब विधायक रानीगंज अभय कुमार धीरज ओझा के प्रयास से कहला के दिन बहुर रहे हैं। वह शहीद स्थल पर सभागार व अतिरिक्त कक्ष का निर्माण करा चुके हैं। सड़क के साथ हैंडपंप व लाईट भी लगवा दी गई है। कहला शहीद स्थल को पर्यटन के आइने में लाने के लिए सरकार को पत्र भेजा है।