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ताकि बच्चे भी जाने पेड़ों की अहमियत, प्रयागराज में ऑनलाइन कक्षाओं में समझाया जा रहा बरगद का महत्व

विद्यावती दरबारी इंटर कॉलेज की शिक्षक गार्गी श्रीवास्तव ने बताया कि वह बच्चों को पौधों का महत्व समझाने में जुटी है। खासकर बरगद व पीपल के महत्व को समझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बरगद सौभाग्य और वंश वृद्धि का सूचक है। आयुर्वेद में इसके फल का महत्व है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 02:24 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 02:24 PM (IST)
ताकि बच्चे भी जाने पेड़ों की अहमियत, प्रयागराज में ऑनलाइन कक्षाओं में समझाया जा रहा बरगद का महत्व
शिक्षक गार्गी श्रीवास्तव ने बच्चों से आह्वान किया कि जहां भी रहें खाली भूमि पर पौधे जरूर लगाएं।

प्रयागराज, जेएनएन।  भारतीय धर्म संस्कृति में बरगद का महत्व प्राचीन काल से बना हुआ है। पंच पल्ल्व में शामिल वट शिव का प्रतीक है। इसकी जड़े जहां गिरती हैं, वहीं से नए वृक्ष उगते हैं। यह जानकारी इन दिनों तमाम ऑनलाइन कक्षाओं में शिक्षक बच्चों को दे रहे हैं।

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बरगद सौभाग्य और वंश वृद्धि का सूचक

विद्यावती दरबारी इंटर कॉलेज की शिक्षक गार्गी श्रीवास्तव ने बताया कि वह बच्चों को पौधों का महत्व समझाने में जुटी है। खासकर बरगद व पीपल के महत्व को समझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बरगद सौभाग्य और वंश वृद्धि का सूचक है। आयुर्वेद में इसके फल का अदभुत महत्व है। सिंधुघाटी सभ्यता में भी इसका चित्र मिलता है। इससे हमे पता चलता है कि हमारे पूर्व भी इसके महत्व से अवगत थे। लोगों को जोडऩे के लिए ही धार्मिक रूप से इसका महत्व निरूपित किया। वट बृक्ष को कभी न खत्म होने वाली प्रजाति माना गया है। इसका उदाहरण प्रयाग का अक्षय वट है। इसके अतिरिक्त वट सावित्री नामक व्रत मुख्य रूप से इसी वृक्ष को समर्पित है। हमे अधिक से अधिक ऐसे उपयोगी पौधों को लगाना और संरक्षित करना चाहिए।

बच्चे अपने आसपास स्वयं पहल करें और पौधे लगाएं

शिक्षक गार्गी श्रीवास्तव ने बच्चों से आह्वान किया कि जहां भी रहें खाली भूमि पर पौधे जरूर लगाएं। सिर्फ पौधों को लगाएं नहीं उनके संरक्षण के लिए भी कार्य करें। यदि खाली जमीन न हो तो सड़क के किनारे के खाली ट्री गार्ड में पौधे रोप दें और उनके संरक्षण के लिए प्रयास करें।


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