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चूल्हा-चौका के झंझावात से निकल महिलाएं बन सकेंगी शिक्षित Prayagraj News

उत्‍तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्‍त विश्वविद्यालय घरेलू महिलाओं की शिक्षा के प्रति सजग है। विवि ने ऐसी महिलाओं के लिए योजना तैयार की है ताकि वह भी शिक्षा की मुख्‍य धारा से जुड़ सकें।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 05:05 PM (IST)
चूल्हा-चौका के झंझावात से निकल महिलाएं बन सकेंगी शिक्षित Prayagraj News
चूल्हा-चौका के झंझावात से निकल महिलाएं बन सकेंगी शिक्षित Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। अब घरों में चूल्हा-चौका करने वाली महिलाएं भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगी। वहीं, खेतों में हल चलाने वाले किसान भी पढ़े-लिखे लोगों की आंखों में आंखें डालकर बात कर सकेंगे। यह सब संभव करेगा उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय। विवि की ओर से अब सभी के लिए यह योजना लागू की गई है। ये कहना है मुक्त विवि के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह का। उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश...

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सवाल : दूरस्थ शिक्षा को सरल बनाने के लिए मुक्त विवि की ओर से क्या प्रयास किया जा रहा है?

जवाब : दूरस्थ शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए हम केवल अब पुस्तकों का उपयोग नहीं करते हैं बल्कि विवि के शिक्षकों एवं अतिथि शिक्षकों द्वारा ऑडियो-विजुअल प्रयोगशाला में विभिन्न विषयों पर लेक्चर आयोजित कराते हैं। उसे यू-ट्यूब पर अपलोड करने के साथ विवि की वेबसाइट पर भी अपलोड करते हैं। इससे रसोई में काम करने वाली गृहिणी से लेकर खेती-किसानी में लगा हुआ किसान भी आसानी से मोबाइल के माध्यम से विभिन्न विषयों के व्याख्यान सुन सकता है। ऐसी भी व्यवस्था है कि यदि समझने में कोई अड़चन आती है तो वह विवि की वेबसाइट पर अपने सुझाव और जिज्ञासा भी अभिव्यक्त कर सकते हैं।

सवाल : आमतौर पर दूरस्थ शिक्षा केवल डिग्री हासिल करने का जरिया माना जाता है, इस मिथक को कैसे तोड़ेंगे?

जवाब : देखिए, एक समय था जब पुस्तकें उपलब्ध नहीं होती थीं और कक्षाओं के व्याख्यान के अतिरिक्त अन्य कोई माध्यम नहीं था, जिससे इंसान पढ़ सके। अब पढ़ाई का आयाम तकनीकी के साथ बदल चुका है। अब ई-पुस्तकों का युग है। आप मनचाही पुस्तकें पढ़ सकते हैं। मुक्त विवि व एचआरडी की वेबसाइट से मनचाहे विषय पर मनचाहे व्यक्तियों का लेक्चर सुन सकते हैं। अब छात्र को बिना उसकी अभिरुचि और प्रकृति को जाने क्लास में लेक्चर सुनने के लिए बाध्य किया जाए, वह युग नहीं रहा। साथ ही हर आदमी अपनी आजीविका और रोजगार को लेकर सतर्क व सचेत है। वह अपने आजीविका को प्राथमिकता दे रहा है। मुक्त विवि ही ऐसा विवि है, जो रोजमर्रा की क्रियाकलापों को बिना बाधित किए हुए सभी को उच्च शिक्षा प्रदान करने का अवसर देता है।

सवाल : प्रतिद्वंदिता के दौर में छात्र-छात्राएं मुक्त विवि में दाखिला क्यों लें?

जवाब : युग तो प्रतिद्वंदिता का है ही। वर्तमान में वही विवि ही प्रतिद्वंदिता में टिकेंगे, जहां पाठ्यक्रमों की विविधता हो। मुक्त विवि में छात्रों को विषयों के चुनाव के बहुत सारे विकल्प हैं। कोई ऐसा विवि नहीं है जो छात्र-छात्राओं को स्नातक व स्नातकोत्तर के साथ-साथ कोई डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पर जोर देता हो। मुक्त विवि अकेला ऐसा संस्थान है जहां स्नातक व स्नातकोत्तर के साथ-साथ विभिन्न रोजगारपरक पाठ्यक्रम की सुविधा है।

सवाल : रोजगारपरक शिक्षा के लिए मुक्त विवि क्या कर रहा है?

जवाब : आजकल नौजवानों में सामथ्र्य और क्षमता बहुत है, लेकिन जिज्ञासा और जागरुकता के अभाव में उन्हें उचित पाठ्यक्रमों का बोध नहीं हो पाता। न तो इस प्रकार की काउंसिलिंग की कोई व्यवस्था है। इसी को देखते हुए मुक्त विवि ने जीएसटी में सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स, एग्री बिजनेस में डिप्लोमा कोर्स, डेयरी में डिप्लोमा कोर्स, वैदिक गणित में डिप्लोमा समेत कई प्रकार के पाठ्यक्रमों को शुरू किया है। इसके तहत छात्रों से महाविद्यालयों में जाकर मुक्त विवि के शिक्षक छात्रों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर रहे है।

सवाल : मुक्त विवि के सेंटरों में नकल रोकने के लिए क्या करेंगे?

जवाब : नकल एक पुरानी विधि है। जब तक प्रतिशत के आधार पर नियुक्तियां होती रहेंगी तब तक ये जारी रहेगी। यही वजह है कि सभी नौकरियों में प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाएं। दूसरा यह है कि नकल रोकने के लिए मुक्त विवि राज्य सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुरूप उन्हीं अध्ययन केंद्र को परीक्षा केंद्र बनाएगा जहां सीसीटीवी कैमरे लगे हों। छात्रों को इसके लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

सवाल : इस बीच क्या कोई नया कोर्स शुरू करने की योजना है?

जवाब : नए कोर्स जो शुरू होने थे, वह हो गए हैं। जागरुकता पाठ्यक्रम के तहत आयुष योजना, उज्ज्वला, आवास आदि पर जागरुकता पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पर विशेष जागरुकता पाठयक्रम प्रस्तावित है।

सवाल : प्रवेश में गड़बड़ी की भी तमाम शिकायतें रहती हैं, इसे कैसे रोकेंगे?

जवाब : इसके लिए आयोग की तर्ज पर हर क्षेत्रीय कार्यालय पर महीने में एक दिन विद्यार्थियों से संवाद होगा। उसी दिन उससे संबद्ध अध्ययन केंद्रों के विद्यार्थी और प्राचार्य समस्याओं को रोकेंगे। छात्रों तक खुद पहुंचने का प्रयास भी किया जा रहा है। सबको शिक्षा, सबको ज्ञान-राजर्षि टंडन का है आह्वान। यही मुक्त विवि का नारा है।

सवाल : सेंटर पर कक्षाएं चलाने की क्या कोई योजना है?

जवाब : परामर्श कक्षाओं का संचालन होता है। विवि केवल पुस्तकें देकर इतिश्री नहीं कर लेता है। यदि छात्रों को महसूस होता है तो अध्यन केंद्रों पर परामर्श कक्षाओं का संचालन कराया जाता है।


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