उच्च शिक्षा ने जगाई प्रयागराज की उम्मीद, बाकी से निराशा
इस वर्ष में उच्च शिक्षा ने उम्मीदें जगाई है। इसमें बेहतरी आई है वहीं बेसिक व माध्यमिक स्तर की शिक्षा में खास प्रगति नहीं दिखी।
प्रयागराज : इस वर्ष कई विवादों के बावजूद उच्च शिक्षा में बेहतरी आई। वहीं बेसिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई। अफसर सरकारी लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पाए। मिडडे मील में औसतन 30 विद्यालयों में दोपहर भोजन नहीं बनता। ड्राप आउट की दर कम करने में भी अफसर नाकाम रहे। स्कूलों में यूनिफार्म और किताबें तो बांट दी गईं, लेकिन स्वेटर करीब 15 फीसद बच्चों को नहीं मिले।
उच्च शिक्षा में यह हुए प्रगति कार्य
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए दो एवं छात्राओं के लिए एक हॉस्टल के लिए 29 करोड़ का बजट स्वीकृत।
- इविवि में रज्जू भैया कैंपस के नाम से अतिरिक्त कैंपस बनाने की घोषणा।
- इविवि के महाविद्यालयों में पीजी की पढ़ाई की सुविधा।
- महाविद्यालयों में उपलब्ध शिक्षक एवं संसाधनों के आधार पर पीएचडी में दाखिले की अनुमति।
- ट्रिपलआइटी में वर्किंग प्रोफेशनल के लिए एमबीए और पीएचडी के पाठ्यक्रम शुरू।
- बीटेक और एमटेक, एमबीए के छात्रों के लिए सतत् मूल्यांकन प्रणाली लागू।
- संस्थान में कंप्यूटर कंपाइलिंग सेंटर एवं दो इंक्यूबेशन सेंटरों की स्थापना।
- उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विवि में एमए, बीए दोनों पाठ्यक्रमों में भूगोल, वैदिक गणित में डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा रिमोट सेंसिंग में नए कोर्स शुरू।
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की मिली सौगात
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह साल बेहतर रहा। बच्चों के जन्म से लेकर इलाज तक की सुविधाएं बेहतर हुई हैं। खासकर ट्रामा सेंटर संचालित होने और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण शुरू होने से प्रयागराज समेत आसपास के जिलों को राहत मिली है।
खास बातें
- वर्ष 2012-13 के सर्वे में शिशु मृत्युदर 83 प्रति हजार थी, जो वर्ष 2015-16 के सर्वे में घटकर 63 प्रति हजार हो गई।
- स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर में प्रधानमंत्री सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और एक नया वेटिंग हाल का निर्माण शुरू।
- यहां प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी समेत आठ विभाग होंगे।
- मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल में डायलिसिस की अलग यूनिट बनकर तैयार। इसमें एक साथ किडनी के 30 मरीजों की डायलिसिस हो सकेगी।
- बेली हॉस्पिटल में 10 बेड का नया ट्रामा सेंटर भी बनकर तैयार।
स्वच्छता जागरूकता बढ़ी, सूबे में दूसरे नंबर पर प्रयागराज
शहर की आबादी और वाहनों में बढ़ोत्तरी, निर्माण कार्यों के चलते पेड़ों के कटान से पर्यावरण की चिंता तो जरूर हुई, लेकिन पर्यावरण रक्षा की दिशा में काम भी हुआ है। वाहनों में सीएनजी का प्रयोग और सड़कों में सुधार से वायु प्रदूषण बेहद नियंत्रित है। स्वच्छता के प्रति जागरूकता से पूरे प्रदेश में प्रयागराज जिला दूसरे नंबर पर आ गया है। हालांकि गंगा-यमुना में सीवर का पानी अभी नियंत्रित नहीं हो पाया है। इविवि में प्राणि विज्ञान के प्रोफेसर संदीप मल्होत्रा ने बताया कि संगम पर गंगा व यमुना में उच्च क्षमता वाले पादप लवकों की उपस्थिति से जैव विविधता बढ़ रही है।
पर्यावरण के क्षेत्र में आंकड़े भी अच्छी तस्वीर दिखाते हैं
- 2700 हेक्टेयर वन क्षेत्र बढ़ा पूरे जिले में
- 3.15 लाख नए पौधे रोपे गए
- 3200 पेड़ शहर में निर्माण कार्यों के चलते काटे गए
- 340 एमएलडी शहर में निकलता है प्रदूषित पानी
- 268 एमएलडी पानी का ही हो पाता है शोधन
- 72 एमएलडी के तीन एसटीपी नैनी, फाफामऊ, झूंसी में प्रस्तावित
- 04 लाख शौचालयों का जिले में निर्माण।
गिर रहा भूजल स्तर, संचय की चिंता नहीं
शहर में भूजल का अधाधुंध दोहन होने से भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। जल संचयन और उसके दोहन पर रोक लगाने का प्रभावी इंतजाम नहीं है। 200 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना शहर के चंद भवनों तक ही सिमट कर रह गई है। शहर उत्तरी का अधिकांश हिस्सा डार्क जोन में हैं। गनीमत है कि ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में जलाशय बने हैं।
- 300 नलकूप रोज 210 एमएलडी पानी निकालते हैं
- 290 एमएलडी पानी की कुल होती है आपूर्ति
- 40 एमएलडी पानी लीकेज आदि से होता है बर्बाद
- 12 मोहल्लों में इस साल एक मीटर तक नीचे गया भूजल
- 2.12 लाख घरों में होती है पाइपलाइन से जलापूर्ति
- 44 जलाशयों में 32 पटे, सिर्फ 12 में पानी