स्ववित्तपोषित कॉलेजों के कर्मियों की सेवा नियमावली न बनने पर हाई कोर्ट गंभीर, कमेटी बनाने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध स्ववित्त पोषित डिग्री कॉलेजों के कर्मचारियों की सेवा नियमावली बनाने में विलंब होने को गंभीरता से लिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध स्ववित्त पोषित डिग्री कॉलेजों के कर्मचारियों की सेवा नियमावली बनाने में विलंब होने को गंभीरता से लिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि लगभग सात वर्ष पुराने आदेश का पालन न किया जाना उचित नहीं है। साथ ही मुख्य सचिव को इसके लिए कमेटी बनाने और उसमें उन सभी विभागों के लोगों को शामिल करने का निर्देश दिया है, जिनकी सेवा नियमावली बनाने में आवश्यकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने डॉ. नीरज श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कमेटी की मीटिंग रिपोर्ट नियमित रूप से पेश करने का निर्देश दिया है। नियमावली बनने तक प्रत्येक बुधवार को नियमित सुनवाई करने को कहा है। इसके पूर्व लखनऊ पीठ ने एक मार्च 2013 को प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को कमेटी गठित कर सेवा नियमावली बनाने का निर्देश दिया था। इस पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि आदेश के अनुपालन में एक आठ सदस्यीय कमेटी गठित की गई है।
हाई कोर्ट ने इस तरह के अनुपालन पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि इसे आदेश का पालन होना नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को कमेटी की मीटिंग के मिनट्स (कार्यवाही) पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा से समय सीमा की अवधि बताने को कहा।
अपर मुख्य सचिव की ओर से बताया गया कि सेवा शर्तें तय करने के लिए कई विभागों का सहयोग की जरूरत है। वह केवल उच्च शिक्षा विभाग के है लेकिन, अन्य विभागों पर उनका कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है। इस पर न्यायालय ने मुख्य सचिव को कमेटी बनाकर उन सभी विभागों के लोगों को उसमें शामिल करने का निर्देश दिया। जिनका सेवा शर्तें बनाने में सहयोग की आवश्यकता है।