हाई कोर्ट ने कहा- वादे से नहीं मुकर सकता इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डी. फिल में प्रवेश देने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बाद में कोई बदलाव होता है तो बदला नियम प्रवेश ले चुके छात्रों पर लागू नहीं होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की योजना के तहत ग्रेजुएशन/डी. फिल कोर्स में प्रवेश देकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रों से किये गए कोर्स पूरा करने के वादे से मुकर नहीं सकता। हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को 2012 से कोर्स कर रहे याचियों को तत्काल डी. फिल में प्रवेश देने का निर्देश दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बाद में कोई बदलाव होता है तो बदला नियम प्रवेश ले चुके छात्रों पर लागू नहीं होगा। कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को स्नातक के साथ डी. फिल कोर्स में प्रवेश ले चुके याचियों को कोर्स पूरा करने और डी फिल में प्रवेश लेने की अनुमति देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने जयकृष्ण पटेल व अन्य की याचिका पर दिया है।
याचियों का कहना था कि उन्होंने 2012 में ग्रेजुएशन के साथ डी. फिल संयुक्त कोर्स में प्रवेश लिया। इसमें 10 सेमेस्टर पूरा करने के बाद 25 अप्रैल, 2017 को उन्हें डी. फिल कोर्स में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया। कहा गया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2016 में डी. फिल कोर्स में संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए ही प्रवेश देने का नियम बनाया है। कोर्ट में याचिका दाखिल करके उसे चुनौती दी गयी थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुमति और इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद के प्रस्ताव के तहत स्नातक के साथ डी. फिल कोर्स में छात्रों को प्रवेश दिया गया। बाद में नियमों में बदलाव कर कोर्स में प्रवेश ले चुके छात्रों को कोर्स पूरा करने से रोका नहीं जा सकता।