देवरिया कांड में हाईकोर्ट ने पुलिस को लगायी फटकार कहा, कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं
कहा कि लड़कियां वीआईपी के यहां भी जाती थी, उन्हें लाने ले जाने वाले ड्राइवर व वीआईपी के बयान आईओ ने क्यों नहीं लिए।
इलाहाबाद (जेएनएन)। देवरिया बाल गृह बालिका मामले में एसआइटी की रिपोर्ट और पुलिस की विवेचना के तरीकों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि पुलिस के विवेचक ने न तो संरक्षण गृह के पड़ोसियों के बयान लिए, न ही यह जानने का प्रयास किया कि लड़कियों को कहां, किस वीआइपी के पास भेजा जाता था। उन कारों के बारे में भी पता न लगाए जाने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई जिससे लड़कियों को भेजा जाता था। कोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से पेश एसआइटी रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। मामले की सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने पुलिस को बाल गृह के स्टाफ, पड़ोसियों तथा लड़कियों को लाने-ले जाने वाली कारों के ड्राइवरों का पता न लगा पाने, उनका बयान दर्ज न करने पर विवेचना के तरीके पर सवाल उठाए। कहा कि ह्विसिल ब्लोअर लड़कियां कहां हैं। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि बाल गृह संचालक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
भवन को सील किया जा चुका है व प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कोर्ट ने जब यह सवाल उठाया कि ब्लैक लिस्टेड घोषित हुए बाल गृह में लड़कियां भेजने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई तो अपर महाधिवक्ता ने बताया कि 18 थानों की पुलिस ने लड़कियां भेजी हैं। संबंधित थाना प्रभारियों का तबादला कर दिया गया है।
कोर्ट ने जानना चाहा कि घटना के बाद क्या सरकार ने सभी संरक्षण गृहों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है? यदि नहीं तो क्यों? पूछा, क्यों न विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला सचिवों को निरीक्षण के लिए कहा जाए। मनीष गोयल ने कहा कि 48 लड़कियों में से एक को छोड़कर सभी की बरामदगी कराई गई है। कोर्ट के पूछे जाने पर गोयल ने बताया कि वाराणसी की गुडिय़ा व नोएडा की उद्यान केयर नामक सरकारी मान्यता प्राप्त एनजीओ है। हाईकोर्ट ने दिन में 10 बजे सुनवाई शुरू की और दोपहर दो बजे पुन: सुनवाई की। बाद में इलाहाबाद की एक संस्था की सहायता के मुद्दे पर चेंबर में सुनवाई की गई।
अपर महाधिवक्ता ने मांगा दो दिन का समय
पड़ोसियों, कार ड्राइवरों और स्टाफ के बयान न दर्ज किए जाने पर सरकार की ओर से उठाए गए कदम की जानकारी मांगने पर अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट से 48 घंटे का समय मांगा और कहा कि सरकार गंभीर है, सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मीडिया को चेतावनी
कोर्ट ने मीडिया में पीडि़तों की पहचान व नाम देने पर कड़ी नाराजगी प्रकट की। कहा कि यदि मीडिया लड़कियों का नाम उजागर करेगी तो कोर्ट अवमानना कार्यवाही करेगी।