Move to Jagran APP

हाई कोर्ट ने अदालत को गुमराह करने पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश, हर्जाना भी लगाया

हाई कोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोप में गाजियाबाद के महेश चंद्र शर्मा पर आपराधिक मुकदमा कायम करने का निर्देश दिया और पांच लाख रुपये हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 05:29 PM (IST)
हाई कोर्ट ने अदालत को गुमराह करने पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश, हर्जाना भी लगाया
हाई कोर्ट ने अदालत को गुमराह करने पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश, हर्जाना भी लगाया

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में गाजियाबाद के डूंडाहेड़ा गांव के निवासी महेश चंद्र शर्मा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा कायम करने का निर्देश दिया और पांच लाख रुपये हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने महेश चंद्र शर्मा की याचिका पर दिया है।

loksabha election banner

याचिका में याची के खिलाफ गौतमबुद्धनगर के बिसरख थाना में 14 अगस्त, 2019 को दर्ज प्राथमिकी को रद करने की मांग की गई थी। प्राथमिकी में याची पर धोखाधड़ी, लोक संपत्ति को क्षति और जमीन पर कब्जा करने जैसे आरोप हैं। याची में सूरज एसोसिएट कंपनी का भागीदार है। याची का कहना था कि फर्म ने शाहबेरी गांव में 20 जुलाई 2013 को रिहायशी कालोनी के लिए जमीन ली। फर्म का नाम भी राजस्व दस्तावेज में दर्ज हो गया। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने शाहबेरी गांव की जमीन का 2009 में अधिग्रहण किया था, जिसे हाई कोर्ट ने रद कर दिया। इस आदेश के खिलाफ एसएलपी भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।

इसके बाद याची ने नक्शा पास करने के लिए प्राधिकरण के समक्ष आवेदन दिया, लेकिन प्राधिकरण ने यह कहते हुए नक्शा नहीं पास किया कि वह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। बाद में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में एफआइआर दर्ज कराई गई है। याची फर्म का भागीदार है। कोर्ट ने याची से भूमि अधिग्रहण की अधिसूचनाओं सहित हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति हलफनामे में मांगी। इसमें बताया गया कि 10 जून व नौ नंबर 2009 को जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उसे 12 मई 2011 को हाई कोर्ट ने रद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी छह जुलाई 2011 को एसएलपी खारिज कर दी। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय ने कोर्ट को बताया याची ने कोर्ट को गुमराह किया है।

वास्तव में जमीन का अधिग्रहण 29 जून 2013 को हुआ और नौ सितंबर 2014 को कब्जा भी ले लिया गया। इस अधिग्रहण को साहित्य प्रचार ट्रस्ट ने चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2014 को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इस तथ्य को कोर्ट से जानबूझकर छिपाया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.