हाई कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान डिपो में डंप माल के किराये पर निर्णय लेने का दिया निर्देश
लॉकडाउन के दौरान विदेश से आयातित माल के इनलैंड कारगो डिपो दादरी में ही फंसे रहने पर डिपो द्वारा किराया वसूली के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान विदेश से आयातित माल के इनलैंड कारगो डिपो, दादरी में ही फंसे रहने पर डिपो द्वारा किराया वसूली के खिलाफ मेसर्स माणिक्य क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याची का कहना है कि केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद डिपो में डंप पड़े माल का किराया वसूला जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार और शिपिंग मंत्रालय की ओर से अप्रैल से मई माह में जारी कई आदेशों में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण जिनका माल डिपो में ही फंसा रह गया है उनसे किराया न वसूला जाय।
न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल व न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने प्रकरण कारगो डिपो को भेज दिया है। साथ ही याची कंपनी के प्रत्यावेदन पर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची कंपनी ने कैल्शियम कार्बोनेट का आयात वियतनाम से किया था। बीते 13 और 19 मार्च को उसका माल कारगो डिपो दादरी पहुंचा। इसके कुछ दिनों बाद देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया, जिसकी वजह से याची डिपो से अपना माल उठा नहीं सका।
नियमानुसार डिपो से माल उठाने के लिए 14 दिन का समय होता है। इसके बाद डिपो किराया वसूल सकता है। लेकिन, लॉकडाउन को देखते हुए शिपिंग मंत्रालय ने देशभर के सभी डिपो को पत्र जारी कर लॉकडाउन की अवधि का किराया नहीं वसूलने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार का यह आदेश सभी डिपो पर बाध्यकारी है। कारगो डिपो दादरी सरकारी क्षेत्र का उपक्रम है, इसके बावजूद डिपो ने याची कंपनी पर 25,65,800 रुपये का वसूली नोटिस जारी कर दिया। कंपनी ने इस बाबत डिपो को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। कोर्ट ने कारगो कार्पोरेशन ऑफ इंडिया को याची कंपनी के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।