यहां भी टूटा है खाकी का कहर दो दारोगा अभी भी जेल में
इलाहाबाद मेंं भी खाकी का कहर टूटा है। बंगला नंबर 11 में हत्या करने वाला और वकील नबी को मारने वाले दोनों दारोगा हैं। वह अभी जेल में हैं।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : लखनऊ में मोबाइल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की सिपाही द्वारा गोली मारकर हत्या के बाद एक बार फिर खाकी के कहर की चर्चाएं तेज हो गई हैं। संगम नगरी में भी खाकी की बेरहमी के अनगिनत मामले हैं। एक वकील और गार्ड को सरेआम गोली मारने वाले दो दारोगा तो अभी भी जेल में हैं। एक को तो आजीवन कारावास की सजा तक हो गई है। इसी प्रकार थाने में दो लोगों को पीटकर मारने के मामले में सात पुलिसकर्मियों पर केस चल रहा है। ऐसे ही बेगुनाह पर कहर बरपाने वाले एक दर्जन से अधिक सिपाहियों पर भी यहां मुकदमे हुए हैं।
दारोगा, सिपाहियों के जेल जाने के मामले सामने आते हैं तो सिविल लाइंस के बंगला नंबर-11 में हुआ घटनाक्रम सुर्खियों में आ जाता है। 14 मई वर्ष 2006 की सुबह दारोगा शत्रुघ्न सिंह ने अपनी रिवाल्वर से सिक्योरिटी गार्ड की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बंगले में रहने वाली रघुबाला गर्ग के सिक्योरिटी गार्ड और दारोगा शत्रुध्न की पत्नी कुमुदनी सिंह से झगड़ा हुआ। इसी में तैश में आए दारोगा ने हत्या कर दी। दारोगा पर 50 हजार का इनाम तक घोषित हुआ। बाद में अदालत से उसे आजीवन कारावास की सजा हुई। दारोगा की पत्नी को तीन माह की सजा सुनाई गई।
ऐसे ही 11 मार्च 2015 को भरी कचहरी में दारोगा शैलेंद्र सिंह ने अधिवक्ता नबी अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद जमकर बवाल हुआ था। दारोगा अभी जेल में है और केस की सुनवाई बाराबंकी में चल रही है। सीएवी मोड़ पर हुए हुए एक एनकाउंटर के मामले में एसओजी के दारोगा समेत सात सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ, गिरफ्तारी भी हुई। हालांकि बाद में अदालत से सभी बरी हो गए। मुट्ठीगंज थाने में एक दारोगा ने लाकअप में अपराधी को गोली मार दी थी। दारोगा पर मुकदमा हुआ, हालांकि जांच में वह बच गए। कौंधियारा, घूरपुर, उतरांव, हंडिया, सिविल लाइंस और धूमनगंज थानों में सिपाहियों के खिलाफ मारपीट और रुपये छीनने आदि के केस दर्ज हुए हैं।
लाकअप में दो को पीटकर मार डाला था :
पुलिस की पिटाई से मौत के मामले में घूरपुर में वर्ष 2008 में बवाल हुआ था। पुलिस पर लाकअप में झूंसी के अशोक कुमार निषाद और लवायन कला के संजय निषाद को पीटकर मारने का आरोप लगा था। मामले में देवानंद और मुकेश बच गए थे। इन दोनों ने बयान दिया था कि बीयर की दुकान से पुलिस अशोक और संजय को ले गई। उन्हें रात में लाकअप में बंद किया गया। रात में पिटाई से दोनों की मौत हो गई। मामले में थाना प्रभारी समेत सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ था।